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Loginहिन्दी हिन्दी व्याकरण 2 years ago
वाक्य में प्रयुक्त शब्द को ‘पद‘ कहा जाता है। वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक आदि अनेक शब्द होते हैं, जब ये शब्द एक सार्थक वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तो यही शब्द पद कहलाते हैं। पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक। अतः वाक्य में प्रयुक्त पदों का परिचय देना ही Pad Parichay कहलाता है।
पद की परिभाषा: सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। अतः जब यह शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।
हिन्दी में पद मुख्य रूप से पाँच (5) प्रकार के होते हैं। (In Hindi, 862">phrases are of 5 types) ये इस प्रकार हैं:
पद परिचय की परिभाषा: वाक्य में प्रयुक्त पदों (शब्दों) का व्याकरणिक परिचय देना ‘पद परिचय‘ कहलाता है। अर्थात पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और आपस में इनका क्या संबंध है।
हिन्दी व्याकरण में इसके विभिन्न नाम दिये गये हैं; यथा-‘पदान्वय’, ‘पदनिर्देश’, ‘पदनिर्णय’, ‘पद-विन्यास’, ‘पदच्छेद’ इत्यादि। ये सभी ‘पद परिचय’ के पर्यायवाची शब्द है। ‘पद-परिचय’ में वाक्यों में प्रयुक्त सार्थक शब्दों अथवा पदों की व्याकरणसम्मत विशेषताएँ बतायी जाती हैं।
दूसरे शब्दों में, इसे हम यों कह सकते हैं कि वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग कर उसका स्वरूप और दूसरे पद से सम्बन्ध बताना ‘पद-परिचय’ कहलाता है। Pad Parichay में एक तरह से सारे व्याकरण का साररूप रख देना पड़ता है।
पद परिचय कैसे लिखें: जैसा कि आप जानते हैं कि पद पाँच प्रकार (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय) के होते हैं, तो इनके पद परिचय लिखते समय क्या-क्या बताना चाहिए, उस सामान्य परिचय के संकेत निम्न हैं-
हिन्दी में सार्थक-शब्द दो भागों में विभाजित किए गए है-
विकारी शब्द: जिन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव पड़ता है, उन्हें विकारी शब्द कहा जाता हैं। विकारी शब्द चार होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया। जैसे– पतंग उड़ रही है (एकवचन), पतंगे उड़ रहीं हैं(वहुवचन)।
अविकारी शब्द: इसके अंतर्गत अव्यय शब्द आते हैं। इन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। अव्यय शब्द के मुख्य रूप से चार भेद होते हैं- क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक। जैसे– वह धीरे चलता है, सीता धीरे चलती है, बच्चे धीरे चल रहे हैं, सीता यहाँ आई थे, बच्चे यहाँ आए थे, इत्यादि।
उदाहरण: श्याम स्कूल जाता है।
अब विस्तार से सभी प्रकार के पदों का पद परिचय अलग अलग समझेंगे।
हिन्दी व्याकरण में पद परिचय के कोई निश्चित भेद या प्रकार नहीं किए गए हैं। प्रमुख पदों के अन्वय का सामान्य पद परिचय:-
संज्ञा का पद परिचय देते समय वाक्य में आये प्रत्येक शब्द को अलग-अलग करके उसका परिचय बताना चाहिए। इसमें संज्ञा का लिंग, वचन, कारक भी बताना होता है। जैसे-
उदाहरण 1. राम ने रावण को बाण से मारा।
इस वाक्य में ‘राम’, ‘रावण’ और ‘बाण’ तीन संज्ञापद है। इनका पदान्वय इस प्रकार होगा-
उदाहरण 2. राम कहता है कि मैं मोहन की पुस्तकें पढ़ सकता हूँ।
इसमें ‘राम’, ‘मोहन’ और ‘पुस्तकें’ तीन संज्ञापद है। इनका पदान्वय इस प्रकार होगा-
सर्वनाम के पद परिचय में सर्वप्रथम दिए हुए वाक्य में सर्वनाम शब्द को पहचान कर, तत्पश्चात उसका भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबंधवाचक, निजवाचक) लिखते हैं, फिर वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंध बताते हैं।
उदाहरण: वह अपना काम करता है।
इस वाक्य में ‘वह’, ‘अपना’ दो सर्वनाम पद है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-
विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए। जैसे-
उदाहरण– यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य कराएगा।
इस वाक्य में ‘अमूल्य’ और ‘थोड़ी-बहुत’ विशेषण है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-
क्रिया के पद-परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, पुरुष, लिंग, वचन, काल और वह शब्द जिससे क्रिया का सम्बन्ध है, इतनी बातें बातनी चाहिए।
उदाहरण– मैं जाता हूँ।
इसमें ‘जाता हूँ‘ क्रिया है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-
अव्यय के पद परिचय में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे सम्बन्ध रखने वाला पद, इतनी बातें लिखनी चाहिए।
उदाहरण 1.वह अभी आया है।
इसमें ‘अभी’ अव्यय है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-
उदाहरण 2.– अहा! आप आ गये।
इसके अन्तर्गत क्रिया विशेषण का प्रकार और जिस क्रिया की यह विशेषता प्रकट करे उस पद का उल्लेख होना चाहिए।
उदाहरण– बालक अपने क्लास में शान्तिपूर्वक बैठता है।
इस वाक्य में ‘शान्तिपूर्वक’ क्रिया विशेषण पद है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-
उदाहरण 1– श्याम स्कूल जाता है।
उदाहरण 2– वह सेब खाता है।
उदाहरण 3– राजेश वहां दसवीं कक्षा में बैठा है।
वाक्य | पद परिचय (व्याकरणिक परिचय) |
---|---|
यह पुस्तक मेरी है। | यह– सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग |
कल हमने ताजमहल देखा। | कल– कालवाचक क्रिया विशेषण; ताजमहल– जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक |
गीता ने पुस्तक पढ़ ली। | पढ़ ली– सकर्मक क्रिया , स्त्रीलिंग , एकवचन , भूतकाल |
जल्दी चलो गाड़ी जाने वाली है। | जल्दी– अव्यय, क्रिया विशेषण, ‘चलो’ क्रिया की विशेषता |
उपवन में ‘सुंदर’ फूल खिले हैं। | सुंदर– गुणवाचक विशेषण , पुल्लिंग, बहुवचन, ‘फूल‘ विशेष्य |
उदाहरण 4. अच्छा लड़का कक्षा में शान्तिपूर्वक बैठता है।
उदाहरण 5. मोहन अपने भाई सोहन को छड़ी से मारता है।
ये पद परिचय कक्षा 8 से 12 (8125">class 8, 8125">class 9, 8125">class 10, 8125">class 11, 8125">class 12) के अतिरिक्त अन्य हिन्दी की परीक्षाओं में भी पूंछें जाते हैं। अतः इनकों जानना हिन्दी में अच्छे अंक लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
पद परिचय किसे कहते हैं तथा इसके कितने भेद होते हैं?
जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।हिन्दी में पद परिचय के कोई निश्चित भेद या प्रकार नहीं किये गए हैं। परंतु हिन्दी के वाक्यों में प्रयुक्त होने पद मुख्य रूप से पाँच होते हैं:-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय।
पद परिचय का अर्थ क्या है?
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक आदि अनेक शब्द होते हैं, जब ये शब्द एक सार्थक वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तो यही शब्द ‘पद’ कहलाते हैं। अतः पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक। औरआपस में इनका क्या संबंध है।
संज्ञा पद परिचय किसे कहते है?
संज्ञा का पद परिचय देते समय वाक्य में आये प्रत्येक शब्द को अलग-अलग करके उसका परिचय बताना चाहिए। इसमें संज्ञा का लिंग, वचन, कारक भी बताना होता है।
सर्वनाम पद परिचय किसे कहते है?
सर्वनाम के पद परिचय में सर्वप्रथम दिए हुए वाक्य में सर्वनाम शब्द को पहचान कर, तत्पश्चात उसका भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबंधवाचक, निजवाचक) लिखते हैं, फिर वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंध बताते हैं।
विशेषण पद परिचय क्या होता है?
विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए। उदाहरण- यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य कराएगा।इस वाक्य में ‘अमूल्य’ और ‘थोड़ी-बहुत’ विशेषण है। इसका पद परिचय बताना ही विशेषण पद परिचय कहलाता है।
Posted on 21 May 2023, this text provides information on हिन्दी related to हिन्दी व्याकरण. Please note that while accuracy is prioritized, the data presented might not be entirely correct or up-to-date. This information is offered for general knowledge and informational purposes only, and should not be considered as a substitute for professional advice.
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