संबंधबोधक अव्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण, Preposition of Hindi

हिन्दी हिन्दी व्याकरण . 2 years ago

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संबंध बोधक अव्यय

वे शब्द जो संज्ञा/सर्वनाम का अन्य संज्ञा/सर्वनाम के साथ संबंध का बोध कराते है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त (use) होते है। इसके साथ किसी-न-किसी परसर्ग (प्रत्यय – post-position) का भी प्रयोग होता है।

जैसे:- के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर, की जगह, के अनुसार, के आगे, के साथ, के सामने आदि।

संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण

  • विद्यालय के सामने बगीचा है। (‘विद्यालय’ का ‘बगीचा’ के साथ संबंध – ‘के सामने’ )

नीचे दिए गए वाक्यों में संबंधबोधक अव्यय पहचानिए:-

  • यहाँ से पूरब की ओर तालाब है।
  • मै कार्यालय से दूर पहुँच चुका था।
  • इसी जंगल के पीछे नदी बहती है।
  • तुम घर के भीतर जाओ।

संबंधबोधक के भेद

  1. स्थानवाचक
  2. दिशाबोधक
  3. कालवाचक
  4. साधनवाचक
  5. कारणवाचक
  6. सीमावाचक
  7. विरोधसूचक
  8. समतासूचक
  9. हेतुवाचक
  10. सहचरसूचक
  11. विषयवाचक
  12. संग्रवाचक

स्थानवाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द स्थान का बोध कराते हैं उन्हें स्थानवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, आगे, पीछे, सामने, निकट आते हैं वहाँ पर स्थानवाचक संबंधबोधक होते है। जैसे- मेरे घर के सामने बगीचा है।

दिशावाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द दिशा का बोध कराते है उन्हें दिशा वाचक संबंधबोधक कहते है। जहाँ पर निकट, समीप, ओर, सामने, तरफ, प्रति आते हैं वहाँ पर दिशावाचक संबंधबोधक होता है। जैसे – परिवार की तरफ देखो कि कितने भले हैं।

कालवाचक संबंधबोधक

जिन अव्यय से समय का पता चलता है उसे कालवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर पहले, बाद, आगे, पीछे, पश्चात, उपरांत आते हैं वहाँ पर कालवाचक संबंधबोधक होता है। जैसे – राम के बाद कोई अवतार नहीं हुआ।

साधनवाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द किसी साधन का बोध कराते है उन्हें साधनवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर निमित्त, द्वारा, जरिये, सहा, माध्यम, मार्फत आते है वहाँ पर साधनवाचक संबंधबोधक होता है। जैसे – वह मित्र के सहारे ही पास हो जाता है।

कारणवाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द किसी कारण का बोध कराते हैं उन्हें कारणवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर कारण, हेतु, वास्ते, निमित्त, खातिर आते है वहाँ पर कारणवाचक संबंधबोधक होता है।

सीमावाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द सीमा का बोध कराते हैं उन्हें सीमावाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर तक, पर्यन्त, भर, मात्र आते है वहाँ पर सीमावाचक संबंधबोधक होता है। जैसे – समुद्र पर्यन्त यह पृथ्वी तुम्हारी है।

विरोधसूचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द प्रतिकूलता या विरोध का बोध कराते हैं उन्हें विरोधसूचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर उल्टे, विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत आते हैं वहाँ पर विरोधसूचक संबंधबोधक होता है। जैसे – आतंकवादी कानून के विरुद्ध लड़ते हैं।

समतासूचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द समानता का बोध कराते हैं उन्हें समतासूचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर अनुसार, सामान्य, तुल्य, तरह, सदृश, समान, जैसा, वैसा आते हैं वहाँ पर समतावाचक संबंधबोधक होता है। जैसे – मानसी के समान मीरा भी सुंदर है।

हेतुवाचक संबंधबोधक

जहाँ पर रहित, अथवा, सिवा, अतिरिक्त आते है वहाँ पर हेतुवाचक संबंधबोधक होता है।

सहचरसूचक संबंधबोधक

जहाँ पर समेत , संग , साथ आते हैं वहाँ पर सहचरसूचक संबंधबोधक होता है।

विषयवाचक संबंधबोधक

जहाँ पर विषय, बाबत, लेख आते हैं वहाँ पर विषयवाचक संबंधबोधक होता है।

संग्रवाचक संबंधबोधक

जहाँ पर समेत, भर, तक आते हैं वहाँ पर संग्रवाचक संबंधबोधक होता है।

प्रयोग की दृष्टिसे संबंधबोधक के भेद

  1. सविभक्तिक संबंधबोधक
  2. निर्विभक्तिक संबंधबोधक
  3. उभय विभक्ति संबंधबोधक

सविभक्तिक संबंधबोधक

जो शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा और सर्वनाम के बाद आते हैं उन्हें सविभक्तिक संबंधबोधक कहते हैं। जैसे– आगे, पीछे, समीप, दूर, ओर, पहले, पास आदि।

  • आगे = घर के आगे
  • पीछे = राम के पीछे
  • समीप = स्कूल के समीप
  • दूर = नगर से दूर
  • ओर = उत्तर की ओर
  • पहले = लक्ष्मण से पहले
  • पास = राम के पास

निर्विभक्तिक संबंधबोधक

जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद आते हैं उन्हें निर्विभक्तिक संबंधबोधक कहते हैं।जैसे– भर, तक, समेत, पर्यन्त, सहित आदि।

  • भर = वह रात भर घूमता रहा।
  • तक = वह सुबह तक लौट आया।
  • समेत = वह बाल-बच्चों समेत यहाँ आया।
  • पर्यन्त = वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा।
  • सहित = वह परिवार सहित विवाह में आया।

उभय विभक्ति संबंधबोधक

जिन शब्दों का प्रयोग दोनों प्रकार से किया जाता है उसे उभय विभक्ति संबंधबोधक कहते हैं।जैसे– द्वारा, रहित, बिना, अनुसार आदि।

  • द्वारा = पत्र के द्वारा , पत्र द्वारा
  • रहित = गुणरहित , गुण के रहित
  • बिना = धन के बिना , धन बिना
  • अनुसार = रीति के अनुसार , रीति अनुसार

रूप के आधार पर संबंधबोधक के भेद

  1. मूल संबंधबोधक
  2. यौगिक संबंधबोधक

मूल संबंधबोधक

जो शब्द अन्य शब्दों से योग नहीं बनाते बल्कि अपने मूल रूप में रहते हैं उन्हें मूल संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर बिना , समेत , तक आते हैं वहाँ पर मूल संबंधबोधक होता है।

यौगिक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , विशेषण आदि के योग से बनते हैं उन्हें यौगिक संबंधबोधक कहते हैं। जैसे– पर्यन्त।

  • पर्यन्त = परि + अंत आदि।

क्रिया विशेषण और संबंधबोधक में अंतर

कुछ कालवाचक और स्थानवाचक क्रियाओं का प्रयोग संबंधबोधक के रूप में किया जाता है। जब इनका प्रयोग संज्ञा और सर्वनाम के साथ किया जाता है तब ये संबंधबोधक होते है लेकिन जब इनके द्वारा क्रिया की विशेषता प्रकट होती है तब ये क्रिया विशेषण होते हैं।जैसे –

  • अंदर जाओ।
  • दुकान के भीतर जाओ।
  • उसके सामने बैठो।
  • स्कूल के सामने मेरा घर है।
  • घर के भीतर सुरेश है।

Posted on 21 May 2023, this text provides information on हिन्दी related to हिन्दी व्याकरण. Please note that while accuracy is prioritized, the data presented might not be entirely correct or up-to-date. This information is offered for general knowledge and informational purposes only, and should not be considered as a substitute for professional advice.

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