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Loginहिन्दी हिन्दी व्याकरण 2 years ago
संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जैसे – बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। जैसे –
विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।पूर्व में- जैसे-
बाद में- जैसे-
विशेषण के 4 प्रकार हैं-
जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रूप, रंग आदि का बोध होता है, उसे गुण वाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में सुंदर, स्वच्छ, गंदी और स्वस्थ शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। गुण का अर्थ अच्छाई ही नहीं, किन्तु कोई भी विशेषता। अच्छा, बुरा, खरा, खोटा सभी प्रकार के गुण इसके अंतर्गत आते हैं।
जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में चालीस, दोनों, दूसरी और हरेक शब्द संख्यावाचक विशेषण हैं।
जैसे- एक, दस, सौ, हजार, लाख आदि।
जैसे- पौना, सवा, डेढ, ढाई आदि।
जैसे- दूसरा, चौथा, ग्यारहवाँ, पचासवाँ आदि।
जैसे- दुगुना, तिगुना, दसगुना आदि।
जैसे- तीनों, पाँचों, आठों आदि।
जैसे- प्रति, प्रत्येक, हरेक, एक-एक आदि।
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणों से अधिकतर बहुत्व का बोध होता है। जैसे-
निश्चित संख्यावाचक के अंतर्गत आनेवाले पूर्णांक बोधक विशेषण के पहले- लगभग या करीब, बाद- में ‘एक ‘ या ‘ओं’ प्रत्यय लगाने से अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हो जाता है। जैसे-
कभी-कभी दो पूर्णांक बोधक साथ में आकर अनिश्चय वाचक बन जाते हैं। जैसे- 1. चालीस-पचास रूपये चाहिए। 2. काम में दो-तीन घंटे लगेंगे।
जिस विशेषण से किसी वस्तु की नाप-तौल का बोध होता है, उसे परिमाण-बोधक विशेषण कहते हैं। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में दो मीटर, एक किलो और थोड़ा पानी शब्द परिमाण-बोधक विशेषण हैं।
जैसे- दो सेर गेहूँ, पाँच मीटर कपड़ा, एक लीटर दूध आदि।
जैसे, थोड़ा पानी और अधिक काम, कुछ परिश्रम आदि।
जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से पहले आए तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताये, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में वह और कौन शब्द सार्वनामिक विशेषण हैं।
जैसे-
1. मूल सार्वनामिक विशेषण, 2. यौगिक सार्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम बिना किसी रूपांतर के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे मूल सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
उपयुक्त वाक्यों में वह,कोई और कुछ शब्द मूल सार्वनामिक विशेषण हैं।
जो सर्वनाम मूल सर्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
उपर्युक्त वाक्यों में ऐसा, कितने और इतना शब्द यौगिक सार्वनामिक विशेषण हैं।
यौगिक सार्वनामिक विशेषण निम्नलिखित सार्वनामिक विशेषणों से बनते हैं-
संकेतवाचक विशेषण जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं। विशेष – क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।
जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज़्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज़्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-
मूलावस्था मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे-
उत्तरावस्था जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे-
उत्तमावस्था उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे-
विशेष – केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।
अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे-
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
---|---|---|
अच्छी | अधिक अच्छी | सबसे अच्छी |
चतुर | अधिक चतुर | सबसे अधिक चतुर |
बुद्धिमान | अधिक बुद्धिमान | सबसे अधिक बुद्धिमान |
बलवान | अधिक बलवान | सबसे अधिक बलवान |
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे-
मूलावस्था | उत्तरावस्था | उत्तमावस्था |
---|---|---|
उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
कठोर | कठोरतर | कठोरतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
महान | महानतर,महत्तर | महानतम,महत्तम |
न्यून | न्यूनतर | न्यनूतम |
लघु | लघुतर | लघुतम |
तीव्र | तीव्रतर | तीव्रतम |
विशाल | विशालतर | विशालतम |
उत्कृष्ट | उत्कृष्टर | उत्कृटतम |
सुंदर | सुंदरतर | सुंदरतम |
मधुर | मधुरतर | मधुतरतम |
कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रिया शब्दों से की जाती है-
प्रत्यय | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|
क | अंश | आंशिक |
धर्म | धार्मिक | |
अलंकार | आलंकारिक | |
नीति | नैतिक | |
अर्थ | आर्थिक | |
दिन | दैनिक | |
इतिहास | ऐतिहासिक | |
देव | दैविक | |
इत | अंक | अंकित |
कुसुम | कुसुमित | |
सुरभि | सुरभित | |
ध्वनि | ध्वनित | |
क्षुधा | क्षुधित | |
तरंग | तरंगित | |
इल | जटा | जटिल |
पंक | पंकिल | |
फेन | फेनिल | |
उर्मि | उर्मिल | |
इम | स्वर्ण | स्वर्णिम |
रक्त | रक्तिम | |
ई | रोग | रोगी |
भोग | भोगी | |
ईन | कुल | कुलीन |
ईण | ग्राम | ग्रामीण |
ईय | आत्मा | आत्मीय |
जाति | जातीय | |
आलु | श्रद्धा | श्रद्धालु |
ईर्ष्या | ईर्ष्यालु | |
वी | मनस | मनस्वी |
तपस | तपस्वी | |
मय | सुख | सुखमय |
दुख | दुखमय | |
वान | रूप | रूपवान |
गुण | गुणवान | |
वती(स्त्री) | गुण | गुणवती |
पुत्र | पुत्रवती | |
मान | बुद्धि | बुद्धिमान |
श्री | श्रीमान | |
मती (स्त्री) | श्री | श्रीमती |
बुद्धि | बुद्धिमती | |
रत | धर्म | धर्मरत |
कर्म | कर्मरत | |
स्थ | समीप | समीपस्थ |
देह | देहस्थ | |
निष्ठ | धर्म | धर्मनिष्ठ |
कर्म | कर्मनिष्ठ |
Posted on 21 May 2023, this text provides information on हिन्दी related to हिन्दी व्याकरण. Please note that while accuracy is prioritized, the data presented might not be entirely correct or up-to-date. This information is offered for general knowledge and informational purposes only, and should not be considered as a substitute for professional advice.
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