| 1. | He delivered to the world his message of compassion , love , self-restraint and self-culture . उन्होनें संसार को करूणा , प्रेम , आत्मत्याग और संस्कृति का संदेश दिया .
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| 2. | He delivered to the world his message of compassion , love , self-restraint and self-culture . उन्होनें संसार को करूणा , प्रेम , आत्मत्याग और संस्कृति का संदेश दिया .
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| 3. | Therefore find your enjoyment in renunciation ; do not covet what belongs to others . ” अत : आत्मत्याग में ही अपने आनंद को प्राप्त करो , तथा पराए धन के प्रति कोई आसक्ति न रखो . ”
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| 4. | Therefore find your enjoyment in renunciation ; do not covet what belongs to others . ” अत : आत्मत्याग में ही अपने आनंद को प्राप्त करो , तथा पराए धन के प्रति कोई आसक्ति न रखो . ”
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| 5. | The first step to the realisation of truth is to practise self-denial and self-sacrifice instead of self-indulgence . सत्य की अनुभूति के लिए पहला कदम है आसक़्ति की जगह आत्मत्याग , आत्म बलिदान को प्रयोग करना .
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| 6. | The immediate objectives would be , first , to prepare the country for self-sacrifice ; second , to unify India and third , to ensure local and cultural autonomy . अविलंबनीय लक्ष्य होंगे- पहला , देश को आत्मत्याग के लिए तैयार करना , दूसरा भारत का एकीकरण , और तीसरा , स्थानीय एवं सांस्कृतिक स्वायत्तता का निश्चयीकरण .
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| 7. | The only way to get out of it is to elevate the individual mind through renunciation , self-sacrifice and the service of our fellow-beings into the universal mind . इससे निकलने का एकमात्र रास्ता , आत्मत्याग , आत्म बलिदान तथा सर्वव्यापक मस्तिष्क से अपने साथियों की सेवा के माघ्यम से , व्यक़्तिगत मस्तिष्क को ऊंचा उठाना है .
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| 8. | The only way to get out of it is to elevate the individual mind through renunciation , self-sacrifice and the service of our fellow-beings into the universal mind . इससे निकलने का एकमात्र रास्ता , आत्मत्याग , आत्म बलिदान तथा सर्वव्यापक मस्तिष्क से अपने साथियों की सेवा के माघ्यम से , व्यक़्तिगत मस्तिष्क को ऊंचा उठाना है .
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| 9. | The gods they regard as the manifestation of the various qualities of the universal spirit , and sacrifice as the symbol of renunciation and self-denial without which no spiritual progress is possible . देवताओं को वे विविध शाश्वत् आत्मा के गुणों की अभिव्यक़्ति यथा यज्ञ को तप और आत्मत्याग का प्रतीक मानते है ; जिसके बिना आध्यात्मिक विकास संभव नही है .
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| 10. | They were , however , followed by a natural reaction and the phase of self-denial which served as a purgative to cleanse the soul of its accumulated grossness and to bring it back to normality . ZZZZफिर भी , बाद में उससे स्वाभाविक प्रतिक्रिया हुई और आत्मत्याग में संग्रहीत अशुद्धता की आत्मा को साफ करने तथा सामान्यता की स्थिति लाने में जुलाब का कार्य
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