| 1. | If somebody recognises them in doing so they need to stay there for 12 more years उस एक वर्ष में भी यदि उन्हें पहचान लिया गया तो फिर से बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा।
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| 2. | During that one year if anyone recognized them, then they would have to lead another 12 years of exile. उस एक वर्ष में भी यदि उन्हें पहचान लिया गया तो फिर से बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा।
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| 3. | In case in that one year of seclusion if their identity is revealed, then again they have to go to exile for 12 more years. उस एक वर्ष में भी यदि उन्हें पहचान लिया गया तो फिर से बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा।
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| 4. | And last one year in forest would be “”to leave with no identity or secret leaving“” and if identity is disclosed then has to under go 12 years forest leaving again. उस एक वर्ष में भी यदि उन्हें पहचान लिया गया तो फिर से बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा।
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| 5. | This perceived high-handedness was a factor behind his six year political exile from Gujarat-he first offended Shankersinh Vaghela and , subsequently , Keshubhai Patel . अपनी इसी कमजोरी के चलते उन्हें छह साल तक गुजरात से राजनैतिक निर्वासन भोगना पड़-उन्होंने पहले शंकर सिंह वाघेल और फिर केशुभाई पटेल की नाराजगी मोल ली .
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| 6. | Consecutive and Concurrent Sentences When several punishments are imposed for several offences at one trial , the court may direct that the several punishments shall run concurrently , that is to say , the accused shall suffer imprisonment for the term of several punishments awarded ; in the absence of such direction , the several terms will run consecutively , which means that the accused will suffer imprisonment for the aggregate of the several terms , one sentence commencing on the expiry of the other . क्रमिक तथा समवर्ती दंड जहां एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए कई दंड दिए जाते हैं वहां न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि ये दंड साथ साथ चलेंगे अर्थात अभियुक्त को दिए विभिन्न दंडों की अवधि के लिए कारावास का दंड भोगना होगा ; इस प्रकार का आदेश न दिया जाए तो कारावास की अवधियां क्रमिक रूप से चलेंगी यानी अभियुक्त को सभी अवधियों के योग के बराबर कारावास भोगना होगा- एक दंड की अवधि समाप्त होने पर दूसरी दंड की अवधि प्रारंभ होगी .
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| 7. | Consecutive and Concurrent Sentences When several punishments are imposed for several offences at one trial , the court may direct that the several punishments shall run concurrently , that is to say , the accused shall suffer imprisonment for the term of several punishments awarded ; in the absence of such direction , the several terms will run consecutively , which means that the accused will suffer imprisonment for the aggregate of the several terms , one sentence commencing on the expiry of the other . क्रमिक तथा समवर्ती दंड जहां एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए कई दंड दिए जाते हैं वहां न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि ये दंड साथ साथ चलेंगे अर्थात अभियुक्त को दिए विभिन्न दंडों की अवधि के लिए कारावास का दंड भोगना होगा ; इस प्रकार का आदेश न दिया जाए तो कारावास की अवधियां क्रमिक रूप से चलेंगी यानी अभियुक्त को सभी अवधियों के योग के बराबर कारावास भोगना होगा- एक दंड की अवधि समाप्त होने पर दूसरी दंड की अवधि प्रारंभ होगी .
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| 8. | Tantawi, then the effective ruler of Egypt, had handpicked Morsi to become president, seeing him as the safest option, someone who could be manipulated or (if necessary) replaced. Toward this end, Tantawi instructed the Supreme Constitutional Court (SCC) to approve Morsi as a candidate, despite his arrest on Jan. 27, 2011, for “treason and espionage,” his time in prison, and despite the SCC having excluded other Muslim Brotherhood candidates, especially the rich, charismatic, and visionary Khairat El-Shater, on the basis of their own imprisonment. Tantawi wanted the obscure, inelegant , and epileptic Morsi to run for president because Shater was too dangerous and another Brotherhood candidate, Abdel Moneim Aboul Fettouh, too popular. तंतावी जो कि उस समय मिस्र के प्रभावी शासक थे , उन्होंने मोर्सी को राष्ट्रपति बनने के लिये चुना और ऐसा करते हुए उन्हें मोर्सी सबसे सुरक्षित विकल्प दिखे थे जिन्हें कि आवश्यकतानुसार अपने पक्ष में किया जा सकता है या हटाया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिये तंतावी ने सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय को निर्देश दिया कि वे मोर्सी को प्रत्याशी बनने की अनुमति दें , इसके बाद भी कि 27 जनवरी , 2011 को उन्हें “ देशद्रोह और गुप्तचरी” के आरोप में कारावास भोगना पडा और सर्वोच्च संवैधानिक न्यायलय ने मुस्लिम ब्रदरहुड के अन्य प्रत्याशियों विशेष रूप से समृद्ध, करिश्माई और दृष्टिसम्पन्न खैरातअल शातेर को उनके कारावास के चलते ही प्रत्याशी बनने से रोक दिया था। तंतावी चाहते थे कि अस्पष्ट, कम प्रतिभासम्पन्न और भुलक्कड मोर्सी राष्ट्रपति पद का चुनाव लडें क्योंकि शातेर कहीं अधिक खतरनाक थे तथा एक और मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रत्याशी अब्दुल मोनिम अबुल फेतोह भी अधिक लोकप्रिय थे।
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