| 11. | He gave to the untouchables the dignified title of ' Harijans ' and tried to secure for them social and religious rights equal to those of caste Hindus , along with special economic and political safeguards . उन्होनें अछूतों को सम्मानजनक नाम ' हरिजन ' दिया और उनके लिए हिंदू जाति के बराबर के सामाजिक और धार्मिक अधिकार तथा आर्थिक और राजनैतिक सुरक्षा प्राप्त करने को प्रयत्न किया .
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| 12. | He gave to the untouchables the dignified title of ' Harijans ' and tried to secure for them social and religious rights equal to those of caste Hindus , along with special economic and political safeguards . उन्होनें अछूतों को सम्मानजनक नाम ' हरिजन ' दिया और उनके लिए हिंदू जाति के बराबर के सामाजिक और धार्मिक अधिकार तथा आर्थिक और राजनैतिक सुरक्षा प्राप्त करने को प्रयत्न किया .
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| 13. | Gandhi , however , reiterated his faith in an article in his English weekly , Harijan . “ To me the earthquake was no caprice of God , nor a result of a meeting of blind forces , ” he wrote . इन सबके बावजूद अंग्रेजी साप्ताहिक ? हरिजन ? में गांधी जी ने अपने विश्वास की पुनरावृत्ति करते हुए लिखा , ? यह भूकंप मेरे लिए ईश्वर का स्वेच्छाकृत या किसी अंधविश्वास का परिणाम नहीं
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| 14. | Gandhi , however , reiterated his faith in an article in his English weekly , Harijan . “ To me the earthquake was no caprice of God , nor a result of a meeting of blind forces , ” he wrote . इन सबके बावजूद अंग्रेजी साप्ताहिक ? हरिजन ? में गांधी जी ने अपने विश्वास की पुनरावृत्ति करते हुए लिखा , ? यह भूकंप मेरे लिए ईश्वर का स्वेच्छाकृत या किसी अंधविश्वास का परिणाम नहीं
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| 15. | Economically speaking , the Harijans have constituted the landless proletariat , and an economic solution removes the social barriers that custom and tradition have raised . . .. अगर आर्थिक दृष्टि से कहें तो यह कि हरिजन लोग भूमिहीन सर्वहारा वर्ग में आते हैं और आर्थिक दृष्टि से समाधान करने से सामाजिक बाड़ टूट जाती है , जिसे रीति-रिवाजों और परंपराओं ने खड़ा कर रखा है .
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| 16. | But the Government has done little so far except for giving a number of scholarships to the children of Harijans and other backward classes and specially intelligent children of the weaker sections of society . किंतु सरकार ने हरिजन और पिछड़ी जाति के बच्चों को तथा विशेषकर कमजोर वर्ग के बुद्धिमान बच्चों को बहुत सी छात्रवृतियां दिए जानें के अतिरिक़्त इस दिशा में अब तक बहुत कम कर्म कार्य किया है .
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| 17. | As far as legal provisions are concerned , our Constitution gave equal rights to men and women , Harijans and caste Hindus and our Parliament has enacted several liberal and progressive laws regarding marriage and inheritance . जहां तक वैधानिक प्रावधानों का संबंध है और सविधान ने पुरूष और स्त्री , हरिजन और हिंदू जाति को सामान अधिकार दिए हैं तथा हमारी संसद ने विवाह और उत्तराधिकार के संबंध में अनेक उदार और प्रगतिशील कानून बनाये , किंतु व्यवहार कानून से बहुत पीछे रहा .
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| 18. | As far as legal provisions are concerned , our Constitution gave equal rights to men and women , Harijans and caste Hindus and our Parliament has enacted several liberal and progressive laws regarding marriage and inheritance . जहां तक वैधानिक प्रावधानों का संबंध है और सविधान ने पुरूष और स्त्री , हरिजन और हिंदू जाति को सामान अधिकार दिए हैं तथा हमारी संसद ने विवाह और उत्तराधिकार के संबंध में अनेक उदार और प्रगतिशील कानून बनाये , किंतु व्यवहार कानून से बहुत पीछे रहा .
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| 19. | Where the weaker sections of the community are concerned , such as undertrial prisoners languishing in jails without a trial , inmates of the Protective Home in Agra or Harijan workers engaged in road construction in the Ajmer district , who are living in poverty and destitution , who are barely eking out a miserable existence with their sweat and toil , who are helpless victims of exploitative society and who do not have easy access to justice , this Court will not insist on a regular writ petition to be filed by the public spirited individual espousing their cause and seeking relief for them . जहां तक समुदाय के दुर्बल वर्गों का सरोकार है , जैसे कि बिना विचारण के जेलों में दिन काटने वाले विचाराधीन कैदी , आगरा के संरक्षण गृह के आवासी , या अजमेर जिले में सड़क निर्माण के काम में लगे हरिजन मजदूर जो दरिद्रता और दीनहीनता में जीवन व्यतीत कर रहे हैं , जो अपना खून-पसीना बहाने पर भी ZZकठिनाई से जीवित हैं , जो शोषण प्रधान समाज के असहाय शिकार हैं और जिनके लिए न्यायालय तक पहुंच पाना सरल नहीं है , उनके मामले में यदि कोई लोकसेवी नागरिक उनकी समस्याओं को उठाने और उन्हें राहत दिलाने के लिए आगे आता है तो यह न्यायालय नियमित रिट याचिका प्रस्तुत किए जाने पर बल नहीं देगा .
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