| 1. | Indeed, Mahathir is hardly the only Muslim ruler to make anti-Jewish statements. President Bashar al-Assad of Syria said in 2001 that Israelis try “to kill the principles of all religions with the same mentality in which they betrayed Jesus Christ.” The Iranian ayatollahs and Saudi princes have a rich history of anti-Jewish venom, as of course do Egyptian television and Palestinian textbooks. निश्चित रूप से यहूदी विरोधी वक्तव्य देने वाले महाथिर शायद ही अकेले मुस्लिम शासक हों। 2001 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा था कि “ इजरायलवासी सभी धर्मों के सिद्धान्तों को उसी प्रकार मार देना चाहते हैं जैसे उन्होंने जीसस क्राइस्ट को मार दिया था। ” ईरानी अयातोल्ला और सउदी राजकुमारों द्वारा यहूदियों के विरूद्ध विष वमन का समृद्ध इतिहास रहा है और ऐसा ही मिस्र के टेलीविजन और फिलीस्तीनी पाठ्रय पुस्तकों का है।
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| 2. | A first goal consists of establishing a superior status for Islam. Khomeini's demands for the sacred trinity of “Islam, the Prophet, and the Koran” imply special privileges for one religion, an exclusion from the hurly-burly of the marketplace of ideas. Islam would benefit from unique rules unavailable to other religions. Jesus may be sacrilegiously lampooned in Monty Python's Life of Brian or Terry McNally's Corpus Christi , but, as one book's title puts it, “ be careful with Muhammad! ” पहला लक्ष्य है, इस्लाम की महत्ता को स्थापित करना। खोमेनी द्वारा अपनी माँग में “ इस्लाम, पैगम्बर और कुरान” की त्रिमूर्ति को पवित्र सिद्ध करने में अंतर्निहित था कि एक मजहब को विशेष विशेषाधिकार प्राप्त हो और उसे विचारों के बाजार से पूरी तरह अलग थलग कर दिया जाये। इस्लाम को वह लाभ मिलेगा जो अन्य मजहबों को नहीं मिला है। जीसस की खिंचाई हो सकती है मोंटी पैथन की लाइफ आफ ब्रायन या फिर टेरी मैकनिली की कार्पस क्रिस्टी में लेकिन क्या कोई अपनी पुस्तक का शीर्षक be careful with Muhammad दे सकता है।
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| 3. | Historical : Chronologically, Islam followed after Judaism and Christianity, but the Koran claims Islam actually preceded the other monotheisms. In Islamic doctrine ( Sura 3:67 ), Abraham was the first Muslim. Moses and Jesus introduced mistakes into the Word of God; Muhammad brought it down perfectly. Islam views Judaism and Christianity as flawed versions of itself, correct on essentials but wrong in important details. This outlook implies that all three faiths share the God of Abraham. ऐतिहासिक - काल गणना के क्रम से इस्लाम यहूदी और ईसाई धर्म के बाद आता है . लेकिन कुरान का दावा है कि इस्लाम अन्य एकेश्वरवादी धर्मों से पहले का है . इस्लामी सिद्धांत के अनुसार ( सुरा 3 :67 ) अब्राहम पहला मुसलमान था . मोसेज़ और जीसस ने गॉड शब्दों को गलत कर दिया . और मोहम्मद ने इसे दुरुस्त किया . इस्लाम यहूदी और ईसाईयत को अपना ही बिगड़ा हुआ स्वरुप मानता है . अनिवार्य तत्वों में तो ठीक है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण विवरणों में गलत है . इस धारणा में यह बात अंतर्निहीत है कि तीनों ही धर्म अब्राहम के गॉड से समान रुप से जुड़े हुए हैं .
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| 4. | De Paolis is hardly alone in his thinking; indeed, the Catholic Church is undergoing a dramatic shift from a decades-old policy to protect Catholics living under Muslim rule. The old methods of quiet diplomacy and muted appeasement have clearly failed. The estimated 40 million Christians in Dar al-Islam, notes the Barnabas Fund's Patrick Sookhdeo , increasingly find themselves an embattled minority facing economic decline, dwindling rights, and physical jeopardy. Most of them, he goes on, are despised and distrusted second-class citizens, facing discrimination in education, jobs, and the courts. वेटिकन के सर्वोच्च न्यायालय के सचिव मोन्सिगनोर(रोमन कैथोलिक चर्च के पुजारी की एक उपाधि) वेलासिवो डि पाओलिस ने मुसलमानों के सन्दर्भ में कहा, “ दूसरा गाल आगे करना अब बहुत हो गया स्वयं की रक्षा करना हमारा दायित्व है”. अपने अनुयायियों के लिये जीसस की दूसरा गाल आगे करने की शिक्षा को प्राय: नकारते हुये डि पाओलिस ने उल्लेख किया कि पिछली आधी शताब्दी से अरब देशों के साथ पश्चिम के सम्बन्ध हैं परन्तु मानवाधिकारों के सम्बन्ध में थोड़ी सी भी छूट प्राप्त करने में वे सक्षम नहीं रहे हैं.
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| 5. | To cool the temperature, Muslims can take two steps: end terrorism and stop the rioting over cartoons and novels. That will cause the antagonism toward Islam built up over the past decade to subside. At that point, I will happily retract my appeal to editors and producers to flaunt offensive cartoons of Muhammad. Sep. 24, 2012 update : A current example of anti-Christian venom: Using the most vulgar language possible, a cartoon posted prominently on the street in the German town of Kassel has a heavenly voice announcing to a crucified Jesus that God had sex with Jesus' mother. So far, much disgust but no riots. That said, protests by Christians lead to the removal of the cartoon from the street but it remained in the exhibition. अभी हाल के एक उदाहरण को लें , The Onion नाम की हास्य वेबसाइट ने No One Murdered Because of This Image शीर्षक से कुछ कार्टून प्रकाशित किये। “इसमें मोजेज, जीसस, गणेश और बुद्ध को बादलों में दिखाया जिन्हें कि ऐसी उत्तेजनात्मक यौन क्रियाओं के साथ दिखाया गया था जो कि अपमानकारक था। इस पत्रिका ने बताया कि , ” सूत्रों के अनुसार हालाँकि कुछ यहूदी, ईसाई,हिंदू और बौद्ध आस्था के लोग इन चित्रों से काफी रुष्ट हुए, अपने सिर हिलाये , अपनी आंखें नचायीं और अपने दिन के कार्य में लगे रहे”
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| 6. | PBS has betrayed its viewers by presenting an airbrushed and uncritical documentary of a topic that has both world historical and contemporary significance. Its patronizing film might be fine for an Islamic Sunday school class, but not for a national audience. For example, PBS ignores an ongoing scholarly reassessment of Muhammad's life that disputes every detail - down to the century and region Muhammad lived in - of its film. This is especially odd when contrasted with the 1998 PBS documentary, “From Jesus to Christ,” which focuses almost exclusively on the work of cutting-edge scholars and presents the latest in critical thinking on Jesus. पब्लिक ब्राडकास्टिंग सर्विस ने इस प्रकार बिना आलोचना वाला वृत्त चित्र दिखाकर दर्शकों के साथ विश्वासघात किया है। यह वृत्त चित्र रविवार के दिन इस्लाम कि विद्यालय में दिखाने योग्य है न कि पूरे देश में । उदाहरण के लिये पीबीएस मोहम्मद के जीवन के प्रत्येक पहलू के विवाद और उसके पुनरावलोकन की प्रक्रिया की अवहेलना करता है जिसमें उनके जीवन की शताब्दी से उनके क्षेत्र तक शामिल है। विशेषरूप से यह पीबीएस के 1998 के वृत्तचित्र From Jesus to Christ के ठीक विपरीत है जहाँ पूरा ध्यान विद्वानों के कार्य पर दिया गया और जीसस के नवीनतम समालोलनात्मक स्वरूप पर ध्यान दिया गया।
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| 7. | The Christian quality of early Islam is no less strange, specifically “traces of a Christian text underlying the Qur'an.” Properly understood, these traces elucidate otherwise incomprehensible passages. Conventionally read, verse 19:24 has Mary nonsensically hearing, as she gives birth to Jesus, “Do not be sad, your Lord has placed a rivulet beneath you.” Revisionists transform this into the sensible (and piously Christian), “Do not be sad, your Lord has made your delivery legitimate.” Puzzling verses about the “Night of Power” commemorating Muhammad's first revelation make sense when understood as describing Christmas. Chapter 97 of the Koran, astonishingly, invites readers to a Eucharist. Cover of Did Muhammad Exist . आरम्भिक इस्लाम के गुण वाली ईसाई गुणवत्ता भी कोई कम अचरज भरी नहीं है विशेष रूप से “ ईसाई पाठ के अंश जो कि कुरान की ही भाँति हैं” । यदि सही रूप से देखा जाये तो ये अंश एक तरह से असमंजस वाले वाक्याँशों को और स्पष्ट करते हैं। परम्परागत रूप से आयत 19:24 को यदि पढा जाये मेरी मूर्खतापूर्ण ढंग से सुनती है कि उन्होंने जीसस को जन्म दिया है , “ दुखी मत हो ईश्वर ने तुम्हारे नीचे एक नदी रख दी है” इसे अभ्यासवादी इस रूप में अधिक बुद्धिमत्तापूर्ण बनाते हैं और ( पवित्र ईसाई भी) “ दुखी मत हो तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी सन्तान को जन्म देने को नैतिक और विधिक बना दिया है” “ रात्रि की शक्ति” जैसी उलझन भरी आयत जो कि मोहम्मद के प्रथम दैवीय संदेश को समर्पित है वह उस समय समझ में आती है जब कि क्रिसमस को समझाया जाता है। आश्चर्य ढंग से कुरान का अध्याय 97 लोगों को चर्च में ईश्वर के साथ सम्मिलन में आमन्त्रित करता है।
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| 8. | Piety: The textbook endorses key articles of Islamic faith. It informs students as a historical fact that Ramadan is holy “because in this month Muhammad received his first message from Allah.” It asserts that “the very first word the angel Gabriel spoke to Muhammad was 'Recite.' ” It explains that Arabic lettering “was used to write down God's words as they had been given to Muhammad.” And it declares that the architecture of a mosque in Spain allows Muslims “to feel Allah's invisible presence.” Similarly, the founder of Islam is called “the prophet Muhammad,” implying acceptance of his mission. (School textbooks scrupulously avoid the term Jesus Christ in favor of Jesus of Nazareth.) Learning about Islam is a wonderful thing; I personally have spent more than thirty years studying this rich subject. But students, especially in public schools, should approach Islam in a critical fashion - learning the bad as well as the good, the archaic as well as the modern. They should approach it from the outside, not as believers, precisely as they do with every other religion. श्रद्धा: पाठ्यपुस्तक इस्लामी आस्था के मूल बिंदुओं का समर्थन करता है। यह छात्रों को बताता है कि रमादान ऐतिहासिक तथ्य है क्योंकि “ इस माह में मोहम्मद को अल्लाह से पहला संदेश मिला था” । यह इस बात पर जोर देता है कि “मोहम्मद को देवदूत गैब्रियल का पहला संदेश ” व्याख्या“ था। यह बताता है कि अरब लिपि ” ईश्वर के शब्दों को लिखने के लिये थी क्योंकि यह मोहम्मद को दिया गया था“ । इसमें यह भी घोषणा की गयी कि ” स्पेन में मस्जिद के एक निर्माण में अल्लाह का परोक्ष आभास होता था“, इसी प्रकार इस्लाम के संस्थापक को ” पैगम्बर मुहम्मद” कहा जाता है और इसमें उनके मिशन को भी परोक्ष रूप से स्वीकार करने जैसा है। ( विद्यालय की पाठ्यपुस्तक नजारेथ के जीसस के पक्ष में जीसस क्राइस्ट को सीधे सीधे अवहेलना कर देता है)
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| 9. | Piety: The textbook endorses key articles of Islamic faith. It informs students as a historical fact that Ramadan is holy “because in this month Muhammad received his first message from Allah.” It asserts that “the very first word the angel Gabriel spoke to Muhammad was 'Recite.' ” It explains that Arabic lettering “was used to write down God's words as they had been given to Muhammad.” And it declares that the architecture of a mosque in Spain allows Muslims “to feel Allah's invisible presence.” Similarly, the founder of Islam is called “the prophet Muhammad,” implying acceptance of his mission. (School textbooks scrupulously avoid the term Jesus Christ in favor of Jesus of Nazareth.) Learning about Islam is a wonderful thing; I personally have spent more than thirty years studying this rich subject. But students, especially in public schools, should approach Islam in a critical fashion - learning the bad as well as the good, the archaic as well as the modern. They should approach it from the outside, not as believers, precisely as they do with every other religion. श्रद्धा: पाठ्यपुस्तक इस्लामी आस्था के मूल बिंदुओं का समर्थन करता है। यह छात्रों को बताता है कि रमादान ऐतिहासिक तथ्य है क्योंकि “ इस माह में मोहम्मद को अल्लाह से पहला संदेश मिला था” । यह इस बात पर जोर देता है कि “मोहम्मद को देवदूत गैब्रियल का पहला संदेश ” व्याख्या“ था। यह बताता है कि अरब लिपि ” ईश्वर के शब्दों को लिखने के लिये थी क्योंकि यह मोहम्मद को दिया गया था“ । इसमें यह भी घोषणा की गयी कि ” स्पेन में मस्जिद के एक निर्माण में अल्लाह का परोक्ष आभास होता था“, इसी प्रकार इस्लाम के संस्थापक को ” पैगम्बर मुहम्मद” कहा जाता है और इसमें उनके मिशन को भी परोक्ष रूप से स्वीकार करने जैसा है। ( विद्यालय की पाठ्यपुस्तक नजारेथ के जीसस के पक्ष में जीसस क्राइस्ट को सीधे सीधे अवहेलना कर देता है)
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| 10. | Linguistic : Just as Dieu and Gott are the French and German words for God , so is Allah the Arabic equivalent, a word older than Islam. In part, this identity of meaning can be seen from cognates: In Hebrew, the word for God is Elohim , a cognate of Allah . In Aramaic, the language spoken by Jesus, God is Allaha . In the Maltese language , which is unique because it is Arabic-based but spoken by a predomitly Catholic people, God is Alla . Further, most Jews and Christians who speak Arabic routinely use the word Allah to refer to God. (Copts, the Christians of Egypt, do not.) The Old and New Testaments in Arabic use this word. In the Arabic-language Bible, for instance, Jesus is referred to as the son of Allah . Even translations carried out by Christian missionaries, such as the famous one done in 1865 by Cornelius Van Dyke , refer to Allah, as do missionary discussions . भाषा विज्ञान के आधार पर - जैसे फ्रेंच और जर्मन में गॉड के लिए Dieu और Gott शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसी प्रकार अरबी में अल्लाह शब्द का प्रयोग होता है . जीसस जिस अर्माइक भाषा का प्रयोग करते थे उसमें गॉड को अल्लाह कहते हैं . इसी प्रकार है अरबी आधारित कैथोलिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली मौल्टेज भाषा में भी गॉड को अल्लाह कहते हैं. इसी प्रकार अधिकांश यहूदी और ईसाई जो दैनिक जीवन में अरबी भाषा का प्रयोग करते हैं वे गॉड के लिए अल्लाह शब्द का प्रयोग करते हैं. ( मिस्र के ईसाई काप्ट ऐसा नहीं करते ) अरबी भाषा के ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट में भी इस शब्द का प्रयोग हुआ है .अरबी भाषा की बाइबिल में जीसस को अल्लाह का पुत्र बताया गया है . ईसाई मिशनरियों द्वारा किये गए अनुवादों में भी अल्लाह का प्रयोग हुआ है . जैसो 1865 में कार्नेलियस वान डिक ने किया था और मिशनरियों की बात चीत में भी इसका प्रयोग होता है .
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