| 1. | अपने मूत्र को लेकर कूर्च-बीज (हूँ) से शुद्ध करें ।
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| 2. | जैसे शमीगणीय (फलियों वाले पौधे), पिपीलिका गणीय, स्वास्तिक गणीय, त्रिपुण्डक् गणीय, मल्लिका गणीय और कूर्च गणीय।
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| 3. | मनु पुत्रा नरिष्यंत से चित्रासेन, उससे ऋक्ष, ऋक्ष से मीढ़वान, मीढ़वान से कूर्च, और कूर्च से इंद्रसेन।
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| 4. | कूर्च (हूं) से फल दे और हद (नमः) से गन्ध एवं वस्त्र प्रदान करें ।
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| 5. | मनु पुत्रा नरिष्यंत से चित्रासेन, उससे ऋक्ष, ऋक्ष से मीढ़वान, मीढ़वान से कूर्च, और कूर्च से इंद्रसेन।
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| 6. | मनु पुत्रा नरिष्यंत से चित्रासेन, उससे ऋक्ष, ऋक्ष से मीढ़वान, मीढ़वान से कूर्च, और कूर्च से इंद्रसेन।
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| 7. | जैसे शमीगणीय (फलियों वाले पौधे), पिपीलिका गणीय, स्वास्तिक गणीय, त्रिपुण्डक् गणीय, मल्लिका गणीय और कूर्च गणीय।
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| 8. | वृद्ध वाग्मट्ट ने शरीर के प्रविभागो के अन्तर्गत त्वचा, कला, दोष, धातु, मल, ज्ञानेन्द्रिय, आशय, प्राणायतन, कण्डरा, जाल, कूर्च रज्जू सीवनी, अस्थि, अस्थि सन्धि, स्नायु, पेशी शिरा धमनी, सोतस, उष्मा, सर्म, केश, श्मश्रु, लोभ प्रकृति एवं विकृति का पररिसंख्यान किया है.
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| 9. | वृद्ध वाग्मट्ट ने शरीर के प्रविभागो के अन्तर्गत त्वचा, कला, दोष, धातु, मल, ज्ञानेन्द्रिय, आशय, प्राणायतन, कण्डरा, जाल, कूर्च रज्जू सीवनी, अस्थि, अस्थि सन्धि, स्नायु, पेशी शिरा धमनी, सोतस, उष्मा, सर्म, केश, श्मश्रु, लोभ प्रकृति एवं विकृति का पररिसंख्यान किया है.
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