| 21. | Second, it serves as a stealth form of Palestinian “ right of return ,” thereby undermining the Jewish nature of Israel. Those 137,000 new citizens constitute about 2 percent of Israel's population, not a small number. Yuval Steinitz , now the fice minister, in 2003 discerned in PA encouragement for family reunification “a deliberate strategy” to increase the number of Palestinians in Israel and undermine its Jewish character. Ahmed Qurei , a top Palestinian negotiator, later confirmed this fear: “If Israel continues to reject our propositions regarding the borders [of a Palestinian state], we might demand Israeli citizenship.” दूसरा, यह चोरी छुपे फिलीस्तीनियों के “ वापसी के अधिकार” के रूप में कार्य करता है और इजरायल के यहूदी स्वरूप को कमतर बनाता है। जो 137,000 नये नागरिक इजरायल में आये हैं वे इजरायल की कुल जनसंख्या का 2 प्रतिशत हैं जो कि कम संख्या नहीं है। युवाल स्टीनिज जो कि अब वित्त मन्त्री हैं उन्होंने 2003 में ही फिलीस्तीन अथारिटी की परिवार पुनर्मिलन की नीति को इजरायल में फिलीस्तीनियों की संख्या बढाने और इसके यहूदी चरित्र को कमतर करने के प्रयास के रूप में आँक लिया था। बाद में एक फिलीस्तीनी मध्यस्थ अहमद क़ुरेयी ने इस आशंका को सही सिद्ध किया , “ यदि इजरायल सीमा के सम्बंध में हमारी योजना को अस्वीकार करता है ( एक फिलीस्तीनी राज्य ) तो हमें इजरायल की नागरिकता की माँग करनी चाहिये”
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| 22. | Third, the hugs obscure the fact that Baghdad has made important decisions directly at odds with the wishes of the Bush administration, such as its restrictive oil policy , its willingness to let Iranian troops in for training purposes, and its rejection of Washington's demands to provide foreign contractors with immunity from Iraqi law . Iraqi politicians sometimes overtly assert their independence, as when Minister of Defense Saadoun al-Dulaimi , asked in mid-2005 if the signing of a military pact with Tehran would anger Washington, replied “Nobody can dictate to Iraq its relations with other countries”; but such tensions get submerged under the master narrative of a subservient Iraq. ईराकी नेताओं को गले लगाने से यह तथ्य भी धुंधला हो जाता है कि बगदाद प्रमुख निर्णय बुश प्रशासन की इच्छा के विरूद्ध लेता है . जैसे तेल नीति को नियन्त्रित करना, प्रशिक्षण हेतु ईरानी सेनाओं का प्रवेश और विदेशी संविदाकर्ताओं को ईराकी कानून से उन्मुक्ति की माँग को अस्वीकार करना. कभी-कभी ईराकी नेता स्पष्ट रूप से अपनी स्वतन्त्रता की बात कहते भी हैं. उदाहरण के लिये 2005 के मध्य में जब रक्षा मन्त्री सादोन अल दुलायमी से पूछा गया कि क्या तेहरान के साथ समझौते से वाशिंगटन असन्तुष्ट होगा उन्होंने उत्तर में कहा कि दूसरे देशों के साथ ईराक के सम्बन्ध के मामले में उसे कोई निर्देशित नहीं कर सकता. परन्तु ऐसे तनाव अधीनस्थ ईराक पर स्वामी का आधिपत्य जैसी कहानियों के नीचे दब जाते हैं.
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| 23. | .Articel 74 inform about minister constituting prime minister of country. On event of prime ministers death or resignation misisters also have to resign. prime minsiter finalises ministers and later appoited by president. Role of minister is also finalized by PM(Prime Minister), PM is the bridge between president and council of ministers अनु 74 स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानम्ंत्री की उपस्तिथि आवश्यक मानता है उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की द्शा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है राष्ट्रपति मंत्री गण की नियुक्ति उस की सलाह से ही करता है मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्य संपर्क सूत्र भी वही है परिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है परिषद के नाम से लडी जाने वाली संसदीय बहसॉ का नेतृत्व करता है संसद मे परिषद के पक्ष मे लडी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है इन सब कारणॉ के चलते प्रधानम्ंत्री को देश का सबसे मह्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है
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| 24. | Afghans burn an effigy of Barack Obama in Khost on Sep. 15. Minimal impact on U.S. presidential elections : Polls show that voter attitudes toward Obama and Mitt Romney have hardly budged over the past six months, suggesting that Islamists on the rampage will have little impact on the election results. Western civilization in the balance : Islamist aspirations grow with improved communications and weakened Middle Eastern governments, ultimately posing an existential question for Westerners: Will we maintain our historic civilization against their challenge, or will we accept Muslim dominion and a second-class dhimmi status? कुछ व्यक्ति सरकारों को बंधक बना लेते हैं : जब जोंस ने वर्ष 2010 में कुरान को जलाने के बारे में बोला तो उनसे अफगानिस्तान में अमेरिकी कमांडर , विदेश मन्त्री, रक्षा मंत्री तथा अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस कार्यक्रम को न करने का आग्रह किया। पिछ्ले सप्ताह संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष ने फोन से उनसे बात की। इससे पूर्व कभी भी कुछ लोग इस प्रकार नीतियों को चलाते नहीं देखे गये। फ्रांस के व्यंग्यकार जीन जैक्स सेम्पे ने इसी को आधार बनाकर 1989 में एक कार्टून बनाया था कि रश्दी अपने टाइपराइटर पर कार्य कर रहे हैं और पंद्रह पुलिसकर्मी इस्लामवादियों से उनकी रक्षा कर रहे हैं इसी बीच एक पुलिसकर्मी वाकी टाकी से सूचित करता है कि “हवाई अड्डे को बंद कर दीजिये वह दूसरा भाग लिखना चाहते हैं” । हालाँकि रश्दी ने दूसरा भाग कभी नहीं लिखा परंतु जोंस बार बार चर्चा में आ रहे हैं।
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| 25. | Their differences are real. But they are also secondary, for all Islamists pull in the same direction, toward the full and severe application of Islamic law (the Shari'a), and they often cooperate toward this end, sometimes covertly. For example, a recently leaked video from Tunisia spectacularly links Ennahda to the embassy violence. Initially broadcast in April 2012, the video resurfaced on October 9. In it, Ghannouchi talks tactics with young Salafis to achieve their common goals and boasts, “We've met with … the Salafis, including Sheikh Abou Iyadh.” Oh really? Abou Iyadh , whose real name is Seifallah Ben Hassine, heads Ansar al-Sharia , a.k.a. Al-Qaeda in the Arabian Peninsula. Tunisian police established a dragnet to question him about his role leading to the Sept. 14 attack. With the revelation of this meeting, the video undercuts Ennahda's condemnation of the Sept. 14 attack. 14 सितम्बर को ट्यूनिश में अमेरिकी दूतावास पर हुए आक्रमण में चार लोग मारे गये और 49 लोग घायल हुए, इस घटना में अनेक भवन लूटे गये और अनेक को जला दिया गया तथा दूतावास की भूमि के ऊपर सलाफी काला ध्वज लहरा दिया गया। इसकी प्रतिक्रिया में ट्यूनिशिया के नरमपंथी इस्लामवादी दल एनाहदा ने पूरी तरह इस घटना की निंदा की; गृह मन्त्री अली लरायेद Ali Larayedh ने माना कि सरकार, “ दूतावास की सुरक्षा करने में असफल रही और इसके लिये हमें अमेरिका के लोगों से क्षमायाचना करनी चाहिये” । एनाहदा के नेता राशिद घनौची ने अत्यंत शत्रुतापूर्वक सलाफी की निंदा करते हुए उन्हें ट्यूनीशिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिये बडा खतरा बताया और उनके विरुद्ध कानूनी तरीके से संघर्ष करने का आह्वान किया।
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| 26. | Dec. 23, 2008 update : The president of the European Union parliament, Hans-Gert Poettering , took advantage of his trip to Saudi Arabia to call on Arab governments to permit new Christian churches in their countries, just as mosques are built in Europe. “It is vital that we get a better understanding of the Islamic culture,” he said. “But it's a two-way road. We ask for tolerance for Christians ... in the Arab world. It's mutual. ... There are hundreds of thousands of Catholics here. We have Christmas tomorrow and they cannot assemble in a church.” Referring to the two holy cities of Islam, Poettering added: “In Mecca and Medina I can understand there are no churches. But not for the whole country.” June 9, 2010 update : A committee of patriarchs and bishops from the Middle East and representatives of various Vatican offices has prepared a 45-page working document for a Synod of Bishops on the Middle East to take place at the Vatican on Oct. 10-24. It bluntly discusses Islamism: डेनमार्क का कार्टून संकट एक ऐसा उदाहरण है जो कैथोलिक मोहभंग को प्रकट करता है. चर्च के नेताओं ने आरम्भ में मोहम्मद के कार्टून के प्रकाशन का विरोध किया, परन्तु जब मुसलमानों ने प्रतिक्रिया में तुर्की और नाईजीरिया में ईसाई पुजारियों की हत्या की तो चर्च ने वेटिकन राज्य सचिव एन्जेलो सोडानो के माध्यम से मुसलमानों को चेतावनी दी, “यदि आप हमारे लोगों से कहेंगे कि उन्हें आक्रमण का अधिकार नहीं है तो हमें अन्य लोगों से भी कहना पड़ेगा कि उन्हें हमें नष्ट करने का अधिकार नहीं है ”. वेटिकन के विदेश मन्त्री आर्कविशप गिवोवानी लाजोलो ने इसमें जोड़ा कि हमें मुस्लिम देशों में कूटनीतिक सम्पर्कों और सांस्कृतिक सम्पर्कों में सम्बन्धों में उचित प्रतिफल की माँग पर जोर देते रहना चाहिये.
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| 27. | Annexure 74 considers it compulsory for the Prime Minister to preside over and manage the cabinet.In case of his resignation or death, the cabinet is considered to be dissolved. The rime Minister holds the ultimate power to appoint the cabinet, The President appoints the cabinet according to the say of teh Prime Minister. He solely decides the portfolios of the ministers. He gives orders to all government institutions and the final decisions also rest with him.He is the central figure between the President and the cabinet of ministers. He is the speaker and leads debates and discussions. He can debate any topic raised in the parliament. He can check the work of any ministry. These are the reasons why he is considered the most important political figure in the country. अनु 74 स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानम्ंत्री की उपस्तिथि आवश्यक मानता है उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की द्शा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है राष्ट्रपति मंत्री गण की नियुक्ति उस की सलाह से ही करता है मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्य संपर्क सूत्र भी वही है परिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है परिषद के नाम से लडी जाने वाली संसदीय बहसॉ का नेतृत्व करता है संसद मे परिषद के पक्ष मे लडी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है इन सब कारणॉ के चलते प्रधानम्ंत्री को देश का सबसे मह्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है
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| 28. | As per article 74 the presence of Prime Minister is necessary for presiding over council of ministers, in condition of his/ her death of resignation all council has to vacate their post. he/ she alone constitute cabinet president appoint ministers only on his recommendation. He him self take decision about department of ministers, he also determine about functioning of cabinet. he direct administration of country. He takes all strategic decision. He is connecting link between president and minister's council. He is also the chief spoke person of council. He leads the parliamentary discussion on the name of cabinet. He can take part in any discussion going on in parliament in favor of cabinet. He coordinates among ministers, he can ask for any information from any ministry. for all these prime minister is considered as most important political personality of country. अनु 74 स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानम्ंत्री की उपस्तिथि आवश्यक मानता है उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की द्शा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है वह अकेले ही मंत्री परिषद का गठन करता है राष्ट्रपति मंत्री गण की नियुक्ति उस की सलाह से ही करता है मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है सभी नीतिगत निर्णय वही लेता है राष्ट्रपति तथा मंत्री परिषद के मध्य संपर्क सूत्र भी वही है परिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है परिषद के नाम से लडी जाने वाली संसदीय बहसॉ का नेतृत्व करता है संसद मे परिषद के पक्ष मे लडी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है मन्त्री गण के मध्य समन्वय भी वही करता है वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना मंगवा सकता है इन सब कारणॉ के चलते प्रधानम्ंत्री को देश का सबसे मह्त्वपूर्ण राजनैतिक व्यक्तित्व माना जाता है
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