| 11. | Notwithstanding anything , the only operative interpretation of the term ' secular ' in Indian Constitutional Law now would be what can be gathered from the different provisions of the Constitution e.g . articles 14 , 15 , 16 , 19 , 25 to 28 , 44 etc . जो भी हो , अब भारतीय संवैधानिक विधि में पंथनिरपेक्ष शब्द का एकमात्र प्रवर्तनीय निर्वचन वही होगा जो संविधान के विभिन्न प्रावधानों जैसे अनुच्छेद 14 , 15 , 16 , 19 और 25 तथा 28 से समझा जा सकता है .
|
| 12. | Every constitution gets meaning and content only from the manner in which and the people by whom it is operated , the effects it acquires from how it is interpreted by courts of the land and the conventions and practices that grow around it in the actual process of its working . बहुत कुछ इस पर निर्भर है कि देश के न्यायालय किस प्रकार उसका निर्वचन करते हैं तथा उसे अमल में लाने की वास्तविक प्रक्रिया में उसके चारों ओर कैसी परिपाटियां तथा प्रथाएं जन्म लेती हैं .
|
| 13. | It not only adjudicates disputes and acts as the custodian of individual rights and freedoms but may from time to time need to interpret the Constitution and review legislation to determine its vires vis-a-vis the Constitution . वह न केवल व्यक्तिगत अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के अभिरक्षक के रूप में विवादों तथा कृत्यों का न्यायनिर्णयन करता है बल्कि उससे अपेक्षा की जा सकती है कि वह समय समय पर संविधान का निर्वचन करे तथा संविधान के संदर्भ में किसी विधान की वैधता का निर्धारण करने के लिए , उसका पुनरीक्षण करे .
|
| 14. | It is the duty of the polling officers at a polling station to assist the The Election Commission , in consultation with the State Government , appoints a Returning Officer for every parliamentary and assembly constituency and for every election to fill a seat or seats in the Rajya Sabha . 4 मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारी का यह कर्तवऋ-ऊण्श्छ्ष्-य होता है कि वह प्रेजाइडिंग अधिकारी की उसके ऋतऋ-ऊण्श्छ्ष्-यों के निर्वहन में करे . 5 सदसऋ-ऊण्श्छ्ष्-यों का निर्वचन लोक सभा के लिए सामानऋ-ऊण्श्छ्ष्-य निर्वचन उसकी कार्यावधि समापऋ-ऊण्श्छ्ष्-त होनपे वाली हो या उसके भंग किए जाने पर कराए जाते है .
|
| 15. | It is the duty of the polling officers at a polling station to assist the The Election Commission , in consultation with the State Government , appoints a Returning Officer for every parliamentary and assembly constituency and for every election to fill a seat or seats in the Rajya Sabha . 4 मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारी का यह कर्तवऋ-ऊण्श्छ्ष्-य होता है कि वह प्रेजाइडिंग अधिकारी की उसके ऋतऋ-ऊण्श्छ्ष्-यों के निर्वहन में करे . 5 सदसऋ-ऊण्श्छ्ष्-यों का निर्वचन लोक सभा के लिए सामानऋ-ऊण्श्छ्ष्-य निर्वचन उसकी कार्यावधि समापऋ-ऊण्श्छ्ष्-त होनपे वाली हो या उसके भंग किए जाने पर कराए जाते है .
|
| 16. | Where any High Court is satisfied that a case pending in the lower courts involves a substantial question of law as to the interpretation of the Constitution , it may withdraw the case and either itself decide it or determine the said question of law and return the case to the Court for determination -LRB- article 228 -RRB- . यदि किसी उच्च न्यायालय का यह समाधान हो जाए कि किसी निम्नतर न्यायालय में लंबित किसी मामले में संविधान के निर्वचन से संबंधित कोई सारवान प्रश्न अंतर्ग्रस्त है तो वह मामले को अपने पास मंगा सकता है और या तो वह मामले को स्वयं निपटा सकेगा या उक्त विधि के प्रश्न का अवधारण कर सकेगा और मामले को अवधारणा के लिए न्यायालय को लौटा सकेगा ( अनुच्छेद 228 ) .
|
| 17. | In a civil matter , an appeal lies to the Supreme Court from any judgement , decree or final order of a High Court if the High Court certifies under article 134A that a substantial question of law of general importance as to the interpretation of the Constitution is involved and the matter needs to be decided by the Supreme Court -LRB- articles 132-134 -RRB- . दीवानी मामले में उच्च न्यायालय के किसी निर्णय , डिऋई अथवा अंतिम आदेश की अपील उच्चतम न्यायालय में हो सकती है , यदि उच्च न्यायालय अनुच्छेद 134 क के अधीन प्रमाणित कर देता है कि इस मामले में संविधान के निर्वचन के बारे में सार्वजनिक महत्व का कोऋ सारवान प्रश्न अंतर्ग्रस्त है और उस प्रश्न का विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा आवश्यक है ह्यअनुच्छेद 132-134हृ .
|
| 18. | The grant of the certificate by the High Court for appeals in criminal cases to the Supreme Court depends on an evaluation whether the case involves a substantial question of law and its interpretation on which the Supreme Court is urgently required to pronounce its opinion and whether it would result in grave injustice to the accused if he is denied the opportunity of an appeal to the Supreme Court . फौजदारी मामलों के बारे में उच्चतम न्यायालय में अपीलों के उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणपत्र का दिया जाना इस मूल्यांकन पर निर्भर करता है कि क्या मामले में विधि तथा उसके निर्वचन का सारवान प्रश्न अंतर्ग्रस्त है और क्या उस पर उच्चतम न्यायालय के लिए तुरंत अपनी राय का दिया जाना अपेक्षित है और क्या इसके फलस्वरूप अभियुक्त के प्रति गंभीर अन्याय हो जाएगा , यदि उसे उच्चतम न्यायालय में अपील के अवसर से वंचित किया जाता है ?
|
| 19. | Even though made non-justiciable , the Directive Principles have thus far guided the Union arid State Legislatures in enacting social reform legislation , the courts have cited them in support of their interpretation of constitutional provisions and the Planning Commissions have accepted them as useful guidelines for determining their approach to national reconstruction and rejuvenation . हालांकि निदेशक तत्वों को न्यायालय में नहीं ले जाया जा सकता , फिर भी इन तत्वों ने सामाजिक सुधार संबंधी कानून बनाने में संघ तथा राज्यों के विधानमंडलों का अब तक मार्गदर्शन किया है , न्यायालयों ने संविधान के उपबंधों के अपने निर्वचन के समर्थन में इन तत्वों को उद्धृत किया है , और योजना आयोग ने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा कायाकल्प के प्रति अपने दृष्टिकोण का निर्धारण करने के लिए इन्हें उपयोगी दिशानिर्देश के रूप में स्वीकार कर लिया है .
|