| 31. | From the beginning of 180 BC lot of invasions were there in middle Asia, which resulted in the establishment of Yui,Saka,Parthi and eventually Kushana dynasty. १८० ईसवी के आरम्भ से मध्य एशिया से कई आक्रमण हुए जिनके परिणामस्वरूप उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी शक पार्थी और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए।
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| 32. | Chalukya is great samarat polikes is belongs to 2 to 4 centuries चालुक्य राजवंश के सबसे महान सम्राट पुलकेसि २ के ५वीं शताब्दी के ऐहोल अभिलेख में यह बताया गया है कि भारत युद्ध को हुए ३ ७३५ वर्ष बीत गए है इस दृष्टिकोण से महाभारत का युद्ध ३१०० ईसा पूर्व लड़ा गया होगा।
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| 33. | -LSB- There follows a story about how one of the rulers of this dynasty , Kanik , ' who is said to have built the vihara of Purushavar ' was imprisoned and displaced by his Vazir . [इसके बाद वह कहानी आती है जिसमें इस राजवंश का एक शासक कणिक , ? जिसने पुरुशवर का ? विहार ? बनवाया था ? , किस प्रकार गिरफ्तार किया गया और अपने ही मंत्री द्वारा अपदस्थ कर दिया गया .
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| 34. | According to Emperor Pulkasi of Chalukya Dynasty (2-5 AD) - Mahabharat war was fought 3735 years ago so it will come aroud 3100 BC चालुक्य राजवंश के सबसे महान सम्राट पुलकेसि २ के ५वीं शताब्दी के ऐहोल अभिलेख में यह बताया गया है कि भारत युद्ध को हुए ३ ७३५ वर्ष बीत गए है इस दृष्टिकोण से महाभारत का युद्ध ३१०० ईसा पूर्व लड़ा गया होगा।
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| 35. | All the great emperor of Chaurky reign Pulikeshi 2 century records address shows Mahabharat battle was passed in 3th 734. According to this point of view Mahabharat battle is held before 3100 BC चालुक्य राजवंश के सबसे महान सम्राट पुलकेसि २ के ५वीं शताब्दी के ऐहोल अभिलेख में यह बताया गया है कि भारत युद्ध को हुए ३ ७३५ वर्ष बीत गए है इस दृष्टिकोण से महाभारत का युद्ध ३१०० ईसा पूर्व लड़ा गया होगा।
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| 36. | There are a few granite stone-built temples of the Hoysala times , built when a collateral branch of the dynasty ruled over parts of Tamil Nadu with the capital at Kanur near Srirangam and Jambuk-esvaram . होयसल काल के कुछ ग्रेनाइट पाषाण निर्मित मंदिर हैं , जो उस समय बनाए गए थे , जब इस राजवंश की किसी सगोत्री शाखा का तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन था जिसकी राजधानी श्रीरंगम और जम्बुकेश्वरम के निकट कण्णनूर में
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| 37. | The latter had been fortunate , insofar as he had End of the Tibetan dynasty , and origin of the Brahman dynasty found by accident hidden treasures , which gave him much influence and power . ] तिब्बती राजवंश का अंत और ब्राह्मण राजवंश का उद्गम इस वंश का अंतिम राजा ? लागातुरमन ? था जिसका मंत्री कल्लर एक ब्राह्मण था.मंत्री बड़ा भाग़्यशाली था क़्योंकि उसे संयोग से कुछ छिपा हुआ खजाना मिल गया था जिससे उसे न केवल बहुत शक्ति मिली बल्कि उसकी दूर-दूर तक ख़्याति
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| 38. | The latter had been fortunate , insofar as he had End of the Tibetan dynasty , and origin of the Brahman dynasty found by accident hidden treasures , which gave him much influence and power . ] तिब्बती राजवंश का अंत और ब्राह्मण राजवंश का उद्गम इस वंश का अंतिम राजा ? लागातुरमन ? था जिसका मंत्री कल्लर एक ब्राह्मण था.मंत्री बड़ा भाग़्यशाली था क़्योंकि उसे संयोग से कुछ छिपा हुआ खजाना मिल गया था जिससे उसे न केवल बहुत शक्ति मिली बल्कि उसकी दूर-दूर तक ख़्याति
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| 39. | Thus can a mere traffic accident influence history. Related Topics: Lebanon , Syria receive the latest by email: subscribe to daniel pipes' free mailing list This text may be reposted or forwarded so long as it is presented as an integral whole with complete and accurate information provided about its author, date, place of publication, and original URL. Comment on this item लेबनान की स्वतंत्रता क्रूर , असफल और अलोकप्रिय अशद राजवंश के लिए ताबूत में बड़ी कील साबित होगी. यदि चीजें सही दिशा में चलती रहीं तो लेबनान की तर्ज पर सीरिया भी स्वतंत्र हो जाएगा . किस प्रकार मात्र एक सड़क दुर्घटना इतिहास को प्रभावित कर सकती है.
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| 40. | The late 4th millennium date has a precedent in the calculation of the Kaliyuga epoch, based on planetary conjunctions, by Aryabhata (6th century). His date of February 18 3102 BCE has become widespread in Indian tradition (for example, the Aihole inscription of Pulikeshi II, dated to Saka 556 = 634 CE, claims that 3735 years have elapsed since the Bharata battle.[26]) Another traditional school of astronomers and historians, represented by Vriddha-Garga, Varahamihira (author of the Brhatsamhita) and Kalhana (author of the Rajatarangini), place the Bharata war 653 years after the Kaliyuga epoch, corresponding to 2449 BC चालुक्य राजवंश के सबसे महान सम्राट पुलकेसि २ के ५वीं शताब्दी के ऐहोल अभिलेख में यह बताया गया है कि भारत युद्ध को हुए ३ ७३५ वर्ष बीत गए है इस दृष्टिकोण से महाभारत का युद्ध ३१०० ईसा पूर्व लड़ा गया होगा।
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