| 1. | People ask you for criticism, but they only want praise. लोग आपको समालोचना के लिए पूछ भले ही लें, लेकिन चाहते वे केवल प्रशंसा ही हैं।
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| 2. | While I like and think well of Bush, I have criticized his response to radical Islam since 2001, his Arab-Israeli policy since 2002, his Iraq policy since 2003, and his democracy policy since 2005. In both 2007 and 2008 , I critiqued the shortcomings of his overall Middle East efforts. हालाँकि मैं बुश को पसन्द करता हूँ और उनके विषय में अच्छा सोचता हूँ पर मैंने कट्टरपंथी इस्लाम के प्रति उनकी प्रतिक्रिया की आलोचना 2001 से ही की है, 2002 से उनकी अरब इजरायल नीति की , 2003 से उनकी इराक नीति की और 2005 से उनकी लोकतांत्रिक नीति की। वर्ष 2007 और 2008 में मैंने उनके समस्त मध्य पूर्व के प्रयासों की कमियों की समालोचना की।
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| 3. | Apart from a large number of articles on social and national problems , on education , literary criticism , folk literature and the philosophy of words and sounds , he wrote a number of humorous and satirical sketches and completed his next major volume of verse published in 1906 as Kheya -LRB- Crossing -RRB- . सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं के अलावा शिक्षा , साहित्य , समालोचना , लोक साहित्य,शक्ति और व्यंजना के दर्शन पर बहुत बड़ी संख्या में निबंध लिखने के साथ साथ उन्होंने कई हास्यपरक और व्यंग्यपूर्ण रेखाचित्र भी लिखे.इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविताओं का एक विशिष्ट संकलन तैयार किया जो 1906 में ? खैया ? ( नदी के पार ) शीर्षक से प्रकाशित हुआ .
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| 4. | Apart from a large number of articles on social and national problems , on education , literary criticism , folk literature and the philosophy of words and sounds , he wrote a number of humorous and satirical sketches and completed his next major volume of verse published in 1906 as Kheya -LRB- Crossing -RRB- . सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं के अलावा शिक्षा , साहित्य , समालोचना , लोक साहित्य,शक्ति और व्यंजना के दर्शन पर बहुत बड़ी संख्या में निबंध लिखने के साथ साथ उन्होंने कई हास्यपरक और व्यंग्यपूर्ण रेखाचित्र भी लिखे.इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविताओं का एक विशिष्ट संकलन तैयार किया जो 1906 में ? खैया ? ( नदी के पार ) शीर्षक से प्रकाशित हुआ .
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| 5. | The U.S. Congress broke with a 45-year tradition last week: It permitted a dissident to critique the federal funding for the study of foreign language and cultures - to suggest that the program often serves the very opposite of academia's goals or the nation's interests. The topic impinges on core questions of how Americans see the outside world and themselves. It also has major implications for U.S. policy. पिछले सप्ताह यू.एस.कांग्रेस ने 45 वर्षों में पहली बार परम्परा तोड़ते हुये इस बात की समालोचना के लिए विरोधी स्वरों को अनुमति दी कि विदेशी संस्कृति और भाषाओं के अध्ययन के लिए खर्च हो रही आर्थिक सहायता से राष्टीय हितों की पूर्ति या अकादमिक उद्देश्य के लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो रही है। इस विषय का कुछ प्रमुख मुद्दों पर असर पड़ा कि अमेरिका के लोग अपनों को और बाहरी विश्व को किस प्रकार देखते हैं ।
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| 6. | Confronted by this powerful critique, the education establishment's lobbyist at the hearing, Terry Hartle, was reduced to posturing about the supposed patriotism of his constituents. He also dismissed Kurtz's case as anecdotal and claimed historians and political scientists “rarely find” post-colonial theory useful. The fellow even pretended (and this falsehood must have rankled) that Edward Said's work “reached its apex of popularity more than a decade ago and has been waning ever since.” इस शक्तिशाली समालोचना से सामना होने के उपरान्त सुनवाई में शिक्षा लाबी के टैरी हर्टल ने झुककर अपने लोगों के काल्पनिक राष्ट्रभक्ति की दुहाई दी। उन्होंने कर्ज के मामले को खारिज करते हुए दावा किया कि इतिहासकार और राजनीति विज्ञानी उत्तर उपनिवेश सिद्धान्त को उपयोगी नहीं मानते। फेलो ने इस बात का बहाना किया कि एडवर्ड सेड का कार्य एक दशक पूर्व अपनी लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गया और तब से नीचे गिर रहा है।
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| 7. | Ehud Barak, the most highly decorated soldier in Israeli history, made mistakes. During the Camp David II summit meeting of 2000, when Ehud Barak headed the government of Israel and I disagreed with his policies , more than once, my critique was answered with a how-dare-you indignation: “Barak is the most decorated soldier in Israeli history - and who are you?” Yet, analysts now generally agree that Camp David II had disastrous results for Israel, precipitating the Palestinian violence that began two months later. वर्ष 2000 में कैम्प डेविड द्वितीय की बैठक में जब एहुद बराक इजरायल की सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और मैं उनकी नीतियों से असहमत हुआ था तब एकाधिक बार मेरी समालोचना के बारे में कहा गया कि “ बराक इजरायल के इतिहास के सबसे अलंकृत सैनिक हैं और तुम कौन होते हो उनके बारे में बोलने वाले” ? फिर भी विश्लेषक सामान्य रूप से इस बात से सहमत हैं कि कैम्प डेविड द्वितीय का इजरायल के लिये विनाशकारी परिणाम रहा जिसने कि फिलीस्तीनी हिंसा को सक्रिय कर दिया जो कि दो ही माह बाद आरम्भ हो गयी।
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| 8. | Feb. 21, 2008 update : The inaccuracies of Mearsheimer & Walt, such as this one about Campus Watch and myself, do not actually exist! The book is not an example of sloppy scholarship! At least, that's what Mearsheimer declares in an interview published today: I've been criticized often, but nobody has ever accused me of sloppy scholarship. Do you think [publishers] Farrar, Straus and Giroux, as a serious publishing house, would allow us to do sloppy scholarship? It flies in the face of common sense. There are 106 pages of endnotes, and Steve and I paid two fact-checkers $16,000 out of our own pockets to check our facts. तीसरा , अपने पहले पत्र में मैंने काफी संक्षिप्त उत्तर दिया था, इसलिये कैम्पस वॉच के उद्देश्य के सम्बन्ध में मियारशेमर और वॉल्ट के असत्य का मैंने प्रतिरोध नहीं किया. अब मैं ऐसा करूँगा, मैं उनकी इस बात से इन्कार करता हूँ कि कैम्पस वॉच का आशय मध्य पूर्व के सम्बन्ध में खुली बहस को हतोत्साहित करना है. जैसा कि www.campus-watch.org ने अपने मिशन सम्बन्धी बयान में स्पष्ट किया है यह प्रकल्प उत्तरी अमेरिका में मध्य पूर्व के अध्ययन का पुनरीक्षण और समालोचना इसे और अधिक सुधारने की दृष्टि से करता है.
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| 9. | While several scholars demanded a review of the punishment for apostates in the light of the changing modern values, others refuted their argument saying the original Islamic texts call for harsh punishments. “Religious freedom is a right that should be guaranteed to every human being. We have come here to present and discuss different viewpoints and we should do it in order to reach the right solution,” said Mahmoud Zaqzouq, Egypt's minister of endowments. Some participants doubted the validity of texts quoted in support of the beheading of apostates. On the other hand, several others were adamant in their refusal to the demand for a lighter approach toward apostates in the name of freedom of religion. “The view that Islamic scholars of the past had different views on how to punish apostates is incorrect. They only disagreed on how soon apostates should be executed; should it be done in three days, one week or few months. The waiting time is left to the discretion of the ruler,” said Muhammad Al-Nujaimi, a professor at the Higher Institute of Law in Riyadh. June 3, 2012 update : Darul Uloom Deoband, a key Indian Muslim institution, has delivered what MEMRI calls “a revolutionary fatwa (edict) against polygamy , advising Muslims in India not to contract a second marriage.” Their fatwa reads, in the unedited English: निष्कर्ष रूप में यही विचार है: अमेरिका के लोगों के पास इस्लाम का ज्ञान है जो कि प्रभावित करने लायक है। उग्रवादी इस्लाम के प्रति क्षमाप्रार्थी का भाव रखने वालों के दावे के विपरीत कि अमेरिका के लोग इस सम्बंध में अज्ञानी हैं मेरे पाठक जानते हैं कि वे किस विषय में बात कर रहे हैं। उनकी समालोचना कुछ अवसरों पर काफी ज्ञानवर्धक (जैसे कि कुरान में कुछ विषय समाप्त किये जाने पर) और कुछ अवसरों पर यह अभिव्यक्ति से भरपूर है( अगली बार जब सडक पर या भवन में इजरायल के नागरिक को समाप्त करने से सम्बंधित कोई फिल्म क्लिप देखें जो जरा सोचें कि वास्तव में बुराई कहाँ है” )
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| 10. | In Britain the authorities constantly protest that we are not at war with Islam but with “terrorism,” which apparently exists in some sort of limbo, populated by “extremists” who have nothing to do with religion. Rabid Islamists like Omar Bakri Mohammed, leader of al-Mouhajiroun (an organization that, among other activities, has recruited young British Muslims to fight for the Taliban), are given generous and not always unfriendly exposure on British television, and are tolerated even when their activities and statements present a clear case of treason. Meanwhile, writers like the novelist Fay Weldon who publish critical comments about Islam are accused of “Islamophobia.” And Muslim pressure groups agitate for protection against such criticism under the government's proposed bill to “ban religious hatred,” effectively criminalizing criticism of Islam. ब्रिटेन में अधिकारी बराबर इस बात का विरोध करते हैं कि वे इस्लाम के साथ युद्ध की स्थिति में हैं वरन वे “ आतंकवाद” के साथ युद्ध की स्थिति में हैं जो कि प्रत्यक्ष रूप से संक्रमण की स्थिति में है और इसमें उन “ कट्टरपंथियों” की अधिकता है जिनका कि मजहब से कोई लेना देना नहीं है। कट्टर इस्लामवादी और अल मोहाजिरोन (संगठन जो कि अपनी अन्य गतिविधियों के साथ तालिबान के साथ लडने के लिये ब्रिटेन के युवाओं को भर्ती करता है) के नेता उमर बकरी मोहम्मद को अत्यंत सदाशयतापूर्वक टेलीविजन पर स्थान दिया जाता है और उन्हें तब भी सहन किया जाता है जबकि उनकी गतिविधियाँ और बयान स्पष्ट रूप से देशद्रोह का मामला होता है। इसी दौरान उपन्यासकार फे वेल्डन जो कि इस्लाम की समालोचना करते हैं उनपर “इस्लामोफोब” का आरोप लगाया जाता है और मुस्लिम गुट ऐसी आलोचना से संरक्षण के लिये प्रदर्शन करते हैं जिसके लिये सरकार की ओर से मजहबी घृणा पर प्रतिबंध का कानून प्रस्तावित है जिसके अंतर्गत इस्लाम की आलोचना को आपराधिक बनाया जा रहा है।
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