| 21. | Despite this scorn, Islamists are eager to use elections to attain power, and have proven themselves to be agile vote-getters; even a terrorist organization (Hamas) has won an election. This record does not render the Islamists democratic but indicates their tactical flexibility and their determination to gain power. As Erdoğan has revealingly explained, “Democracy is like a streetcar. When you come to your stop, you get off.” इस्लामवादी दो प्रकार से लोकतंत्र के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। पहला वे इसे गैर इस्लामिक घोषित करते हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक हसन अल बना ने लोकतंत्र को इस्लामी मूल्यों के साथ एक विश्वासघात की संज्ञा दी। ब्रदरहुड के विचारक सैयद कुत्ब ने लोकप्रिय सम्प्रभुता को अस्वीकार किया और ऐसा ही पकिस्तान के जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक दल के संस्थापक अबू अल अला अल मौदुदी ने किया। अल जजीरा टेलीविजन चैनल के इमाम युसुफ अल करदावी ने तर्क दिया कि चुनाव धर्मविरोधी हैं।
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| 22. | Some Islamists denounce democracy as heretical and a betrayal of Islamic values but the more clever of them, noting their own widespread popularity, have adopted democracy as a mechanism to seize power. Their success in a country like Turkey does not transform Islamists into democrats (i.e., show a willingness to relinquish power) but demonstrates their willingness to adopt whatever tactics will bring them power. Yes, with enough effort and time, Muslims can be as democratic as Westerners. But at this time, they are the least democratic of peoples and the Islamist movement presents a huge obstacle to political participation. In Egypt as elsewhere, my theoretical optimism, in other words, is tempered by a pessimism based on present and future realities. कुछ इस्लामवादी लोकतंत्र को विद्रोही और इस्लामी मूल्यों के साथ विश्वासघात घोषित करते हैं लेकिन जो उनमें चतुर हैं वे अपनी व्यापक लोकप्रियता को देखते हुए लोकतंत्र का प्रयोग सत्ता प्राप्ति के साधन के रूप में करते हैं। तुर्की मे उनकी सफलता के बाद इस्लामवादी लोकतंत्रवादी नहीं बन गये हैं वरन इससे उनकी इच्छा प्रदर्शित होती है कि वे कोई भी रणनीति अपनाकर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं।
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| 23. | The Central Powers' publics heard messages designed to undermine support for their governments, while Entente publics were fed news reports about atrocities, some of them false. Notably, the British authorities claimed that Imperial Germany had a “ Corpse Conversion Factory ” ( Kadaververwerkungsanstalt ), that plundered enemy dead soldiers' bodies to produce soap and other products. After the war's conclusion, when the British learned the truth, these lies left a residue of what Fishman calls “skepticism, betrayal, and a mood of postwar nihilism.” केन्द्रीय शक्तियों के लोगों के लिये सन्देश थे कि वे अपनी सरकारों के प्रति समर्थन न रखें जबकि मैत्री राष्ट्रों को उत्पीड़न के ऐसे समाचार दिये जाते थे जिनमें से अधिकांश झूठ थे। इसमें ध्यान देने योग्य है कि ब्रिटिश अधिकारियों ने दावा किया कि जर्मनी के पास Corpse Conversion Factory है जो शत्रुओं के मृत सैनिकों को चुराकर उनसे साबुन तथा अन्य उत्पाद तैयार किये जाते हैं। युद्ध के निष्कर्ष के पश्चात जब ब्रिटिशवासियों को सत्य का पता चला तो फिशरमैन के अनुसार इससे संशयवादी, विश्वासघात और युद्धोपरान्त निराशावाद के परिणाम हुये।
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| 24. | Second, it spurred anti-Zionism. I lived for nearly three years in Egypt in the 1970s, before Sadat's dramatic trip to Jerusalem in late 1977, and I recall the relatively low interest in Israel at that time. Israel was plastered all over the news but it hardly figured in conversations. Egyptians seemed happy to delegate this issue to their government. Only after the treaty, which many Egyptians saw as a betrayal, did they themselves take direct interest. The result was the emergence of a more personal, intense, and bitter form of anti-Zionism. दूसरा. इससे इजरायल विरोधी वातावरण को और बल मिला. 1977 में सादात की जेरूसलम की नाटकीय यात्रा से पूर्व 1970 में मैं तीन वर्ष मिस्र में रहा और उस समय इजरायल के मामले में मेरी रूचि आज के सापेक्ष कम रही. समाचारों में तो इजरायल चारों ओर होता था परन्तु बातचीत में इसका उल्लेख बहुत कम ही होता था. मिस्र के लोगों ने इस विषय को सरकार पर डाल दिया था. परन्तु 1979 की सन्धि के बाद जिसे मिस्र के अधिकांश लोग विश्वासघात मानते हैं ,लोग इजरायल के सम्बन्ध में रूचि लेने लगे. इसका परिणाम हुआ कि अधिक व्यक्तिगत, तीव्र और शत्रुवत् इजरायल विरोधी भाव विकसित हुआ.
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| 25. | These mistakes prompted passage of two landmark anti-regime measures. In December 2003, the American government passed the Syrian Accountability Act which punished Damascus for its malfeasance. In September 2004, the U.N. Security Council passed Resolution 1559 which called on all “foreign forces” to withdraw their troops from Lebanon, a clear reference to the Syrian troops that arrived in 1976. These steps encouraged leading Lebanese politicians to demand the withdrawal of Syrian forces. Most notably, Druze leader Walid Jumblatt and Sunni leader Rafik Hariri took this fateful step, thereby threatening to deprive Damascus of both its sense of territorial achievement and its golden Lebanese economic goose. इस बात में शायद ही कोई संदेह हो कि हरीरी सहित 16 अन्य लोगों की जान लेने वाला 14 फरवरी का विस्फोट अशद ने करवाया था . अशद ने अपनी अपरिपक्वता के चलते निर्णय कर लिया कि पूर्व प्रधानमंत्री को विश्वासघात का दंड मिलना चाहिए लेकिन अशद की कल्पना के ठीक विपरीत सीरिया द्वारा लेबनान को खाली करने की मांग कम होने के बजाए और तेज़ हो गई . इस पर अशद की प्रतिक्रिया ने उन्हें और भी मुसीबत में डाल दिया . हत्या पर बहाना बनाते हुए खुफिया एजेन्सी पर आरोप , रुस से एस.ए.18 मिसाईल खरीदने का निर्णय और तेहरान के साथ सुरक्षा समझौता उनके गलत निर्णय रहे .
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| 26. | PBS has betrayed its viewers by presenting an airbrushed and uncritical documentary of a topic that has both world historical and contemporary significance. Its patronizing film might be fine for an Islamic Sunday school class, but not for a national audience. For example, PBS ignores an ongoing scholarly reassessment of Muhammad's life that disputes every detail - down to the century and region Muhammad lived in - of its film. This is especially odd when contrasted with the 1998 PBS documentary, “From Jesus to Christ,” which focuses almost exclusively on the work of cutting-edge scholars and presents the latest in critical thinking on Jesus. पब्लिक ब्राडकास्टिंग सर्विस ने इस प्रकार बिना आलोचना वाला वृत्त चित्र दिखाकर दर्शकों के साथ विश्वासघात किया है। यह वृत्त चित्र रविवार के दिन इस्लाम कि विद्यालय में दिखाने योग्य है न कि पूरे देश में । उदाहरण के लिये पीबीएस मोहम्मद के जीवन के प्रत्येक पहलू के विवाद और उसके पुनरावलोकन की प्रक्रिया की अवहेलना करता है जिसमें उनके जीवन की शताब्दी से उनके क्षेत्र तक शामिल है। विशेषरूप से यह पीबीएस के 1998 के वृत्तचित्र From Jesus to Christ के ठीक विपरीत है जहाँ पूरा ध्यान विद्वानों के कार्य पर दिया गया और जीसस के नवीनतम समालोलनात्मक स्वरूप पर ध्यान दिया गया।
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| 27. | Looked at in historical perspective, since the taciturn but principled Yitzhak Shamir left the prime ministry in 1992, his six successors variously engaged in political betrayal, ethical corruption, and delusional egotism. Sharon (2001-06) abandoned his electoral mandate to the point that he had to flee his own party, even as his ficial sheigans had him in constant trouble with the law. Ehud Olmert (2006-09) had to resign due to a cloud of corruption charges. Focused on the Iranian threat, Netanyahu did well since 2009 but his recent offer of 104 murderers disturbingly contradicts the electoral platform of a half year ago. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें, 1992 में शांत परंतु सिद्दांतवादी यित्जाक शमीर के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद से उनके छह उत्तराधिकारी राजनीतिक विश्वासघात में संलग्न रहे हैं साथ ही नैतिक भ्रष्टाचार और छलपूर्ण अहंमन्यता भी इनके व्यवहार का अंग रहा है। शेरोन ( 2001 -06) ने अपने जनादेश के साथ विश्वासघात किया और इस हद तक चले गये कि उन्हें अपनी पार्टी छोडनी पडी यहाँ तक कि उनकी आर्थिक अनियमितताओं के चलते उन्हें लगातार कानून के संकटों का सामना करना पडा। येहुद ओलमर्ट (2006 -09) को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते त्यागपत्र देना पडा। ईरान के खतरों पर ध्यान देकर नेतन्याहू ने 2009 से ठीक ठाक काम किया परंतु अभी हाल का 104 हत्यारों को लेकर उनका निर्णय उनके छह माह पूर्व के चुनावी आधार के पूरी तरह विपरीत है।
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| 28. | Looked at in historical perspective, since the taciturn but principled Yitzhak Shamir left the prime ministry in 1992, his six successors variously engaged in political betrayal, ethical corruption, and delusional egotism. Sharon (2001-06) abandoned his electoral mandate to the point that he had to flee his own party, even as his ficial sheigans had him in constant trouble with the law. Ehud Olmert (2006-09) had to resign due to a cloud of corruption charges. Focused on the Iranian threat, Netanyahu did well since 2009 but his recent offer of 104 murderers disturbingly contradicts the electoral platform of a half year ago. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें, 1992 में शांत परंतु सिद्दांतवादी यित्जाक शमीर के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद से उनके छह उत्तराधिकारी राजनीतिक विश्वासघात में संलग्न रहे हैं साथ ही नैतिक भ्रष्टाचार और छलपूर्ण अहंमन्यता भी इनके व्यवहार का अंग रहा है। शेरोन ( 2001 -06) ने अपने जनादेश के साथ विश्वासघात किया और इस हद तक चले गये कि उन्हें अपनी पार्टी छोडनी पडी यहाँ तक कि उनकी आर्थिक अनियमितताओं के चलते उन्हें लगातार कानून के संकटों का सामना करना पडा। येहुद ओलमर्ट (2006 -09) को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते त्यागपत्र देना पडा। ईरान के खतरों पर ध्यान देकर नेतन्याहू ने 2009 से ठीक ठाक काम किया परंतु अभी हाल का 104 हत्यारों को लेकर उनका निर्णय उनके छह माह पूर्व के चुनावी आधार के पूरी तरह विपरीत है।
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| 29. | ” Thirdly : For that , he being a subject of the British Government of India , and not regarding the duty of his allegiance , did , at Delhi , on the llth of May , 1857 , or thereabouts , as a traitor against the State , proclaim and declare himself the reigning King and sovereign of India and did then and there traitorously seize and take unlawful possession of the city of Delhi and did , moreover , at various times , between the 10th of May and 1st of October , 1857 , as such false traitor aforesaid , treasonably conspire , consult and agree with Mirza Mughal , his own son , and with Muhammad Bakht Khan -LRB- Jawan Bakht -RRB- Subedar of the Regiment of Artillery , and diverse and other false traitors unknown , to raise levy and make insurrection , rebellion and war against the State and further to fulfil and protect his treasonable design of over- throwing and destroying the British Govern- ment in India , did assemble armed forces at Delhi and send them forth to fight and wage war against the said government . ” तीसराः इसलिए कि उन्होंने भारत में ब्रिटिश सरकार के अधीन होते हुए , राजभि> के अपने कर्तव्य का पालन करने की बजाय , दिल्ली में 11 मऋ 1857 को या उसके आसपास राज्य के प्रति विश्वासघात किया , स्वयं को भारत का सम्राट घोषित किया और आगे चलकर देशद्रोहात्मक ढंग से दिल्ली शहर पर गैरकानूनी कब्जा कर लिया.इतना ही नहीं , 10 मऋ से 1 अ>ऊबर , 1857 के दऋरान कऋ बार , उ> देशद्रोही ने अपने पुत्र मिर्जा मुगल , तोपखाना रेऋमेंट के सूबेदार मुहम्मद बख्त खान ह्यजवां बख्तहृ और कऋ अ&आत देशद्रोहियों के साथ मिलकर , सलाह कर , फऋज जमा करने , राज्य के खिलाफ बगावत करने और लडऋआऋ करने का षड्यंत्र बनाया . के अपने कर्तव्य का पालन करने की बजाय , दिल्ली में 11 मऋ 1857 को या उसके आसपास राज्य के प्रति विश्वासघात किया , स्वयं को भारत का सम्राट घोषित किया और आगे चलकर देशद्रोहात्मक ढंग से दिल्ली शहर पर गैरकानूनी कब्जा कर लिया.इतना ही नहीं , 10 मऋ से 1 अ>ऊबर , 1857 के दऋरान कऋ बार , उ> देशद्रोही ने अपने पुत्र मिर्जा मुगल , तोपखाना रेऋमेंट के सूबेदार मुहम्मद बख्त खान ह्यजवां बख्तहृ और कऋ अ&आत देशद्रोहियों के साथ मिलकर , सलाह कर , फऋज जमा करने , राज्य के खिलाफ बगावत करने और लडऋआऋ करने का षड्यंत्र बनाया .&l=hi">
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