1919 के द्वारा सिक्खों, भारतीय ईसाइयों, आंग्ल-भारतीयों और यूरोपीय लोगों के लिये पृथक निर्वाचन की व्यवस्था करके सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को विस्तार दिया गया। भारत शासन अधिनियम, 1935 द्वारा दलित वर्गों (अनुसूचित जातियों), महिलाओं और श्रमिकों के लिये पृथक् निर्वाचन की व्यवस्था कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को और विस्तार दिया गया। भारत शासन अधिनियम, 1919 द्वारा एक लोक सेवा आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया। इस प्रकार वर्ष 1926 में सिविल सेवकों की भर्ती के लिये एक केंद्रीय लोकसेवा आयोग का गठन किया गया। भारत शासन अधिनियम, 1935 द्वारा एक संघीय न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया था, जिसे वर्ष 1937 में स्थापित किया गया।