Lokokti (proverbs) – लोकोक्तियाँ, Lokokti in hindi, हिन्दी लोकोक्तियाँ

हिन्दी हिन्दी व्याकरण 2 years ago

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Lokokti (Proverbs)

लोकोक्ति की परिभाषा

लोक + उक्ति’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन। जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं।

लोकोक्ति का उदाहरण

उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता‘ । यहाँ ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’ लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है ‘एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता’ ।

विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात की पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है।

बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते।

हिन्दी लोकोक्तियाँ

लोकोक्ति शब्द: लोक + उक्ति’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन। संस्कृत में लोकोक्ति अलंकार का एक भेद भी है तथा सामान्य अर्थ में लोकोक्ति को ‘कहावत’ कहा जाता है।

Lokokti in Hindi – लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावेजिसका जो काम होता है वही उसे कर सकता है।
जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ करेजब किसी के द्वारा पाला हुआ व्यक्ति उसी से गुर्राता है।
जिसकी लाठी उसकी भैंसशक्ति अनधिकारी को भी अधिकारी बना देती है, शक्तिशाली की ही विजय होती है।
जिसके पास नहीं पैसा, वह भलामानस कैसाजिसके पास धन होता है उसको लोग भलामानस समझते हैं, निर्धन को लोग भलामानस नहीं समझते.
जिसके राम धनी, उसे कौन कमीजो भगवान के भरोसे रहता है, उसे किसी चीज की कमी नहीं होती.
जिसके हाथ डोई (करछी) उसका सब कोईसब लोग धनवान का साथ देते हैं और उसकी खुशामद करते हैं.
जिसे पिया चाहे वही सुहागिनजिस पर मालिक की कृपा होती है उसी की उन्नति होती है और उसी का सम्मान होता है।
जी कहो जी कहलाओयदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग तुम्हारा भी आदर करेंगे.
जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा हैकम बोलने और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है।
जीभ भी जली और स्वाद भी न पायायदि किसी को बहुत थोड़ी-सी चीज खाने को दी जाये.
जीये न मानें पितृ और मुए करें श्राद्धकुपात्र पुत्रों के लिए कहते हैं जो अपने पिता के जीवित रहने पर उनकी सेवा-सुश्रुषा नहीं करते, पर मर जाने पर श्राद्ध करते हैं.
जी ही से जहान हैयदि जीवन है तो सब कुछ है। इसलिए सब तरह से प्राण-रक्षा की चेष्टा करनी चाहिए.
जुत-जुत मरें बैलवा, बैठे खाय तुरंगजब कोई कठिन परिश्रम करे और उसका आनंद दूसरा उठावे तब कहते हैं, जैसे गरीब आदमी परिश्रम करते हैं और पूँजीपति उससे लाभ उठाते हैं.
जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जातीसाधारण कष्ट या हानि के डर से कोई व्यक्ति काम नहीं छोड़ देता.
जेठ के भरोसे पेटजब कोई मनुष्य बहुत निर्धन होता है और उसकी स्त्री का पालन-पोषण उसका बड़ा भाई (स्त्री का जेठ) करता है तब कहते हैं.
जेते जग में मनुज हैं तेते अहैं विचारसंसार में मनुष्यों की प्रकृति-प्रवृत्ति तथा अभिरुचि भिन्न-भिन्न हुआ करती है।
जैसा ऊँट लम्बा, वैसा गधा खवासजब एक ही प्रकार के दो मूर्खों का साथ हो जाता है।
जैसा कन भर वैसा मन भरथोड़ी-सी चीज की जाँच करने से पता चला जाता है कि राशि कैसी है।
जैसा काछ काछे वैसा नाच नाचेजैसा वेश हो उसी के अनुकूल काम करना चाहिए.
जैसा तेरा ताना-बाना वैसी मेरी भरनीजैसा व्यवहार तुम मेरे साथ करोगे, वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूँगा.
जैसा देश वैसा वेशजहाँ रहना हो वहीं की रीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए.
जैसा मुँह वैसा तमाचाजैसा आदमी होता है वैसा ही उसके साथ व्यवहार किया जाता है।
जैसी औढ़ी कामली वैसा ओढ़ा खेशजैसा समय आ पड़े उसी के अनुसार अपना रहन-सहन बना लेना चाहिए.
जैसी चले बयार, तब तैसी दीजे ओटसमय और परिस्थिति के अनुसार काम करना चाहिए.
जैसी तेरी तोमरी वैसे मेरे गीतजैसी कोई मजदूरी देगा, वैसा ही उसका काम होगा.
जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे विदेशनिकम्मे आदमी के घर रहने से न तो कोई लाभ होता है और न बाहर रहने से कोई हानि होती है।
जैसे को तैसा मिले, मिले डोम को डोम, दाता को दाता मिले, मिले सूम को सूमजो व्यक्ति जैसा होता है उसे जीवन में वैसे ही लोगों से पाला पड़ता है।
जैसे बाबा आप लबार, वैसा उनका कुल परिवारजैसे बाबास्वयं झूठे हैं वैसे ही उनके परिवार वाले भी हैं.
जैसे को तैसा मिले, मिले नीच में नीच, पानी में पानी मिले, मिले कीच में कीचजो जैसा होता है उसका मेल वैसों से ही होता है
जो अति आतप व्याकुल होई, तरु छाया सुख जाने सोईजिस व्यक्ति पर जितनी अधिक विपत्ति पड़ी रहती है उतना ही अधिक वह सुख का आनंद पाता है।
जो करे लिखने में गलती, उसकी थैली होगी हल्कीरोकड़ लिखने में गलती करने से सम्पत्ति का नाश हो जाता है।
जो गंवार पिंगल पढ़ै, तीन वस्तु से हीन बोली, चाली, बैठकी, लीन विधाता छीनचाहे गंवार पढ़-लिख ले तिस पर भी उसमें तीन गुणों का अभाव पाया जाता है। बातचीत करना, चाल-ढाल और बैठकबाजी.
जो गुड़ खाय वही कान छिदावेजो आनंद लेता हो वही परिश्रम भी करे और कष्ट भी उठावे.
जो गुड़ देने से मरे उसे विषय क्यों दिया जाएजो मीठी-मीठी बातों या सुखद प्रलोभनों से नष्ट हो जाय उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए.
जो टट्टू जीते संग्राम, तो क्यों खरचैं तुरकी दामयदि छोटे आदमियों से काम चल जाता तो बड़े लोगों को कौन पूछता.
जो दूसरों के लिए गड्ढ़ा खोदता है उसके लिए कुआँ तैयार रहता हैजो दूसरे लोगों को हानि पहुँचाता है उसकी हानि अपने आप हो जाती है।
जो धन दीखे जात, आधा दीजे बाँटयदि वस्तु के नष्ट हो जाने की आशंका हो तो उसका कुछ भाग खर्च करके शेष भाग बचा लेना चाहिए.
जो धावे सो पावे, जो सोवे सो खोवेजो परिश्रम करता है उसे लाभ होता है, आलसी को केवल हानि ही हानि होती है।
जो पूत दरबारी भए, देव पितर सबसे गएजो लोग दरबारी या परदेसी होते हैं उनका धर्म नष्ट हो जाता है और वे संसार के कर्तव्यों का भी समुचित पालन नहीं कर सकते.
जो बोले सो कुंडा खोलेयदि कोई मनुष्य कोई काम करने का उपाय बतावे और उसी को वह काम करने का भार सौपाजाये.
जो सुख छज्जू के चौबारे में, सो न बलख बुखारे मेंजो सुखअपने घर में मिलता है वह अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता.
जोगी काके मीत, कलंदर किसके भाईजोगी किसी के मित्र नहीं होते और फकीर किसी के भाई नहीं होते, क्योंकि वे नित्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं.
जोगी जुगत जानी नहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआगैरिक वस्त्र पहनने से ही कोई जोगी नहीं हो जाता.
जोगी जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसानबड़ों की लड़ाई मेंगरीबों की हानि होती है।
जोरू चिकनी मियाँ मजूरपति-पत्नी के रूप में विषमता हो, पत्नी तो सुन्दर हो परन्तु पति निर्धन और कुरूप हो.
जोरू टटोले गठरी, माँ टटोले अंतड़ीस्त्री धन चाहती है औरमाता अपने पुत्र का स्वास्थ्य चाहती है। स्त्री यह देखना चाहती है कि मेरे पति ने कितना रुपया कमाया. माता यह देखती है कि मेरा पुत्र भूखा तो नहीं है।
जोरू न जांता, अल्लाह मियां से नाताजो संसार में अकेला हो, जिसके कोई न हो.
ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होयजितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा.
ज्यों-ज्यों मुर्गी मोटी हो, त्यों-त्यों दुम सिकुड़ेज्यों-ज्यों आमदनी बढ़े, त्यों-त्यों कंजूसी करे.
ज्यों नकटे को आरसी, होत दिखाए क्रोधजब कोई व्यक्तिकिसी दोषी पुरुष के दोष को बतलाता है तो उसे बहुत बुरा लगता है।
झगड़े की तीन जड़, जन, जमीन, जरस्त्री, पृथ्वी और धन इन्हीं तीनों के कारण संसार में लड़ाई-झगड़े हुआ करते हैं.
झट मँगनी पट ब्याहकिसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति.
झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानीजल्दी का काम अच्छा नहीं होता.
झड़बेरी के जंगल में बिल्ली शेरछोटी जगह में छोटे आदमी बड़े समझे जाते हैं.
झूठ के पांव नहीं होतेझूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है।
झूठ बोलने में सरफ़ा क्याझूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता.
झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिएझूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे.
टंटा विष की बेल हैझगड़ा करने से बहुत हानि होती है।
टका कर्ता, टका हर्ता, टका मोक्ष विधायकाः टका सर्वत्र पूज्यन्ते,बिन टका टकटकायतेसंसार में सभी कर्म धन से होते हैं,बिना धन के कोई काम नहीं होता.
टका हो जिसके हाथ में, वह है बड़ा जात मेंधनी लोगों का आदर- सत्कार सब जगह होता है।
टट्टू को कोड़ा और ताजी को इशारामूर्ख को दंड देने की आवश्यकता पड़ती है और बुद्धिमानों के लिए इशारा काफी होता है।
टाट का लंगोटा नवाब से यारीनिर्धन व्यक्ति का धनी-मानी व्यक्तियों के साथ मित्रता करने का प्रयास.
टुकड़ा खाए दिल बहलाए, कपड़े फाटे घर को आएऐसा काम करना जिसमें केवल भरपेट भोजन मिले, कोई लाभ न हो.
टेर-टेर के रोवे, अपनी लाज खोवेजो अपनी हानि की बात सबसे कहा करता है उसकी साख जाती रहती है।
ठग मारे अनजान, बनिया मारे जानठग अनजान आदमियों को ठगता है, परन्तु बनिया जान-पहचान वालों को ठगता है।
ठुक-ठुक सोनार की, एक चोट लोहार कीजब कोई निर्बल मनुष्य किसी बलवान्‌ व्यक्ति से बार-बार छेड़खानी करता है।
ठुमकी गैया सदा कलोरनाटी गाय सदा बछिया ही जान पड़ती है। नाटा आदमी सदा लड़का ही जान पड़ता है।
ठेस लगे बुद्धि बढ़ेहानि सहकर मनुष्य बुद्धिमान होता है।
डरें लोमड़ी से नाम शेर खाँनाम के विपरीत गुण होने पर.
डायन को भी दामाद प्यारादुष्ट स्त्र्िायाँ भी दामाद को प्यार करती हैं.
डूबते को तिनके का सहाराविपत्त्िा में पड़े हुए मनुष्यों को थोड़ा सहारा भी काफी होता है।
डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोईथोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना.
डोली न कहार, बीबी हुई हैं तैयारजब कोई बिना बुलाए कहीं जाने को तैयार हो.
ढाक के वही तीन पातसदा से समान रूप से निर्धन रहने पर उक्त, परिणाम कुछ नहीं, बात वहीं की वहीं.
ढाक तले की फूहड़, महुए तले की सुघड़जिसके पास धन नहीं होता वह गुणहीन और धनी व्यक्ति गुणवान्‌ माना जाता है।
ढेले ऊपर चील जो बोलै, गली-गली में पानी डोलैयदि चील ढेले पर बैठकर बोले तो समझना चाहिए कि बहुत अधिक वर्षा होगी.

Posted on 21 May 2023, this text provides information on हिन्दी related to हिन्दी व्याकरण. Please note that while accuracy is prioritized, the data presented might not be entirely correct or up-to-date. This information is offered for general knowledge and informational purposes only, and should not be considered as a substitute for professional advice.

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